वॉशिंगटन। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ उसकी बैठक सार्थक रही और इस दौरान उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों, कोविड-19 राहत प्रयासों, भारत-चीन सीमा स्थिति और अफगानिस्तान पर चर्चा की तथा साझा चिंताओं के क्षेत्रों पर साथ मिलकर काम करने का प्रण किया।जयशंकर अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं। वे 20 जनवरी को जो बाइडन के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद देश की यात्रा पर आए भारत के पहले मंत्री हैं। उन्होंने शुक्रवार को ब्लिंकन से मुलाकात की।
विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि ब्लिंकन ने विदेश मंत्रालय में जयशंकर का स्वागत किया और अमेरिका-भारत व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने की अमेरिकी प्रशासन की प्रतिबद्धता को दोहराया। ब्लिंकन ने कहा कि डॉ. एस. जयशंकर के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा और अमेरिका के कोविड-19 राहत प्रयासों समेत आर्थिक प्राथमिकताओं, भारत-चीन सीमा स्थिति और अफगानिस्तान के लिए हमारे सहयोग पर आज शनिवार को रचनात्मक बातचीत की।
ब्लिंकन ने विदेश विभाग के फॉगी बॉटम मुख्यालय में जयशंकर के साथ मुलाकात के बाद ट्वीट किया कि मित्र के तौर पर हम साझा चिंताओं के इन क्षेत्रों में एक साथ मिलकर काम करते रहेंगे, वहीं जयशंकर ने ट्वीट किया कि उन्होंने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों के साथ ही द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न आयामों पर ब्लिंकन के साथ सार्थक चर्चा की। उन्होंने कहा कि हिन्द-प्रशांत और क्वॉड, अफगानिस्तान, म्यांमार, यूएनएससी मामलों और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों पर भी बातचीत की।
जयशंकर ने कहा कि भारत-अमेरिका के बीच टीकों की साझेदारी पर भी चर्चा की जिसका मकसद टीकों की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। इस वक्त अमेरिका द्वारा जताई मजबूत एकजुटता की सराहना करते हैं। आज की बातचीत ने हमारी रणनीतिक साझेदारी और सहयोग के हमारे एजेंडे को और मजबूत किया है। भारतीय पत्रकारों के एक समूह के सवाल के जवाब में जयशंकर ने इसका जिक्र नहीं किया कि क्या खासतौर से चीन पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि हमने पूरे हिन्द-प्रशांत क्षेत्र पर चर्चा की। हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा की गई।
गौरतलब है कि भारत, अमेरिका और दुनिया के कई अन्य देश चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी की पृष्ठभूमि में हिन्द-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त और स्वतंत्र बनाने की जरूरत पर जोर दे रहे हैं। चीन की सेना की नजर भी सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिन्द महासागर क्षेत्र पर है। अमेरिका को भारत का रणनीतिक साझेदार बताते हुए जयशंकर ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि दोनों देशों ने अपनी चुनौतियों पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि किसी भी बैठक में रूस से अरबों डॉलर की एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने की भारत की योजना के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। दक्षिण और मध्य एशिया के लिए कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री डीन थॉम्पसन ने कहा कि भारत-चीन सीमा पर घटनाक्रमों पर ही चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा कि हम स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से हल हो जाएगा।
विदेश विभाग के अनुसार दोनों नेताओं ने कोविड-19 राहत प्रयासों, क्वॉड के जरिए हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग मजबूत करने की कोशिशों और जलवायु परिवर्तन से निपटने की साझा प्रतिबद्धता तथा संयुक्त सुरक्षा परिषद समेत अन्य मंचों पर बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने समेत कई मुद्दों पर चर्चा की। प्राइस ने कहा कि ब्लिंकन और जयशंकर ने क्षेत्रीय घटनाक्रमों, बर्मा में तख्तापलट और अफगानिस्तान के लिए सहयोग जारी रखने पर भी चर्चा की।
दोनों नेताओं ने साझा आर्थिक और क्षेत्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं पर सहयोग जारी रखने का भी संकल्प लिया। इससे पहले थॉम्पसन ने पत्रकारों को बताया कि यह बैठक साझेदारी और आगामी वर्षों में इसे मजबूत करने की हमारी प्रतिबद्धता को दिखाती है। उन्होंने कहा कि ब्लिंकन और जयशंकर के बीच आज हुई बैठक महामारी शुरू होने के बाद से वॉशिंगटन में पहली व्यक्तिगत मुलाकातों में से एक है। यह बैठक भारत के साथ हमारे संबंधों की गहराई को दिखाती है। भारत को हम क्षेत्र तथा दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण साझेदारों में से एक के रूप में देखते हैं। (भाषा)