इस्लामाबाद। चीन ने इस्लामी चरमपंथ से निपटने के नाम पर जातीय उइगुर मुसलमानों को हिरासत शिविरों में कैद किया हुआ है। चीन ने पाकिस्तानी कारोबारियों की उइगुर पत्नियों को रिहा करना शुरू कर दिया है। इन कारोबारियों ने हिरासत केंद्रों में ‘यातनाओं’ की दिल दहलाने देने वाली कहानी बताई है।
चीन के शिन्जिआंग प्रांत की 40 महिलाओं ने पड़ोसी पाकिस्तान के व्यापारियों से शादी की है। माना जाता है कि वे उन 10 लाख लोगों में शामिल हैं जिन्हें ‘हिरासत शिविर’ में रखा गया है। चीनी अधिकारी इन्हें ‘व्यावसायिक शिक्षा केंद्र’ बताते हैं।
कारोबारियों ने दावा किया कि उनकी पत्नियों से शिविरों में ऐसे कृत्य कराए गए जो इस्लाम में हराम हैं। उन्हें अब रिहा कर दिया गया है। हाल में शिन्जिआंग प्रांत में अपनी पत्नी से मिलने वाले एक कारोबारी ने नाम न बताने की शर्त पर एएफपी से कहा कि उन्होंने (पत्नी) ने कहा कि उन्हें सुअर का मांस खिलाया गया, शराब पिलाई गई और ये चीजें उन्हें अब भी करनी पड़ती हैं।
कारोबारी ने बताया कि उन्होंने (पत्नी ने) बताया कि उन्हें अधिकारियों को इस बात को लेकर संतुष्ट करना पड़ा कि वह अब कट्टरपंथी विचार नहीं रखती हैं। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी ने नमाज़ और कुरान पढ़ना छोड़ दिया है। उनकी पत्नी अपने माता-पिता के साथ रह रही हैं।
कुछ कारोबारी पारंपरिक रूप से अपनी पत्नी को हफ्तों और महीनों के लिए शिन्जिआंग छोड़कर अपने वतन कारोबार के लिए आते थे। उनका मानना है कि उनकी पत्नियों को शिविर में इसलिए ले जाया गया क्योंकि उनका संबंध पाकिस्तान से है, जो इस्लामी गणराज्य है।
जातीय उइगुर समेत मुसलमानों पर सुरक्षा कार्रवाई के तहत उन्हें हिरासत केंद्रों में रखा गया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय लगातार इसकी आलोचना कर रहा है। चीन पाकिस्तान के साथ अपने आर्थिक संबंधों को विस्तार दे रहा है। लिहाजा, अधिकारियों ने दो महीने पहले महिलाओं को रिहा करना शुरू कर दिया है।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के क्षेत्र गिलगित-बल्तिस्तान सरकार के प्रवक्ता फैज़ उल्ला फिराक ने भी पुष्टि की कि अधिकतर महिलाओं को छोड़ दिया गया है। इस क्षेत्र की सरहद शिन्जिआंग से लगती है।