नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 8 देशों के नेता उजबेकिस्तान के समरकंद में SCO समिट में भाग ले रहे हैं। इस सम्मेलन में भारत के साथ ही चीन, रूस जैसे देशों के राष्ट्रपति भी शामिल है। समिट से इतर पीएम मोदी रूस, ईरान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपतियों से मुलाकात करेंगे। यह सम्मेलन हर वर्ष आयोजित होता है।
कौन कौन से देश हैं सदस्य : SCO के 8 सदस्य चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं। इसके अलावा 4 ऑब्जर्वर देश अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया हैं। 6 डायलॉग सहयोगी अर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की हैं।
क्यों हुई थी स्थापना : साल 1996 में इसकी शुरुआत 5 देशों ने शंघाई इनीशिएटिव के तौर पर की थी। उस समय उनका सिर्फ़ ये ही उद्देश्य था कि मध्य एशिया के नए आजाद हुए देशों के साथ लगती रूस और चीन की सीमाओं पर कैसे तनाव रोका जाए और धीरे-धीरे किस तरह से उन सीमाओं को सुधारा जाए और उनका निर्धारण किया जाए। ये मकसद सिर्फ 3 साल में ही हासिल कर लिया गया। इसकी वजह से ही इसे काफी प्रभावी संगठन माना जाता है। अपने उद्देश्य पूरे करने के बाद उज्बेकिस्तान को संगठन में जोड़ा गया और 2001 से एक नए संस्थान की तरह से शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन का गठन हुआ। साल 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके सदस्य बने।
2001 में बदले उद्देश्य : साल 2001 में नए संगठन के उद्देश्य बदले गए। इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना, सीमा मुद्दों को हल करना, आतंकवाद और धार्मिक अतिवाद का समाधान करना और क्षेत्रीय विकास को बढ़ाना है।
भारत चीन संबंधों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है : भारत और चीन के संबंध पिछले कुछ समय से अच्छे नहीं चल रहे हैं। आज भी पीएम मोदी का चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग से मुलाकात का अलग से कोई कार्यक्रम नहीं है। हालांकि समिट में होने वाली मुलाकात दोनों देशों के बिगड़ते संबंधों को बेहतर करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम साबित हो सकती है। बहरहाल जब दोनों दिग्गज समिट में आपस में मिलेंगे तो उनकी बॉडी लैग्वेंज पर दुनिया भर की नजर होगी।
2020 में SCO समिट में भारत ने LAC पर चीनी सेना की घुसपैठ पर सख्त नाराजगी जताई थी। फिलहाल चीन का ताईवान से तनाव चरम पर है, आर्थिक मोर्चे पर भी चीन का हाल बेहाल है। ऐसे में मुश्किलों में घिरे चीनी राष्ट्रपति भारत से संबंध सुधारने का प्रयास कर रहे हैं।
क्या है चुनौतियां : पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच के बीच 2019 के बाद से सीधी बातचीत नहीं हुई है। भारत एससीओ के साथ-साथ अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान वाले संगठन क्वॉड का भी सदस्य है। इस संगठन और इसमें भारत की सदस्यता पर भी चीन को नाराजगी है। LAC पर भले ही भारत और चीन की सेनाएं एक सीमा तक पीछे हट गई हो लेकिन दोनों देशों की बीच तनाव का कोई स्थायी हल नहीं निकला है।
एक साथ होंगे अमेरिका के 3 दुश्मन : इस समिट में अमेरिका के 3 दुश्मन रूस, चीन और ईरान एक साथ होंगे। पाकिस्तान और तुर्की से भी फिलहाल अमेरिका के संबंध अच्छे नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समिट से इतर रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात भी करेंगे। इस वजह से इस समिट पर अमेरिका की खास नजर होगी।