Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कौन है तालिबान और क्यों डरी हुई है अफगानी जनता?

हमें फॉलो करें कौन है तालिबान और क्यों डरी हुई है अफगानी जनता?
, सोमवार, 16 अगस्त 2021 (12:58 IST)
अंतत: अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो ही गया। राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर चले गए और विदेशी नागरिकों समेत अफगानी नागरिकों में देश छोड़ने से होड़-सी मच गई है। देश में तालिबान की ताजपोशी की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। तालिबान ने ऐलान कर दिया है कि अफगानिस्तान का नया नाम 'इस्लामिक अमीरात और अफगानिस्तान' होगा।
अमेरिकी सेना के हटने के बाद यह तो तय था कि देर-सबेर अफगानिस्तान का कब्जा हो जाएगा, लेकिन इसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी कि तालिबान इतनी जल्दी देश पर काबिज हो जाएगा, खुद तालिबान को भी इसकी उम्मीद नहीं थी। तालिबान की ओर से संभावित राष्ट्रपति मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने कहा कि सभी लोगों के जान-माल की रक्षा की जाएगी। अगले कुछ दिनों में सब कंट्रोल में कर लिया जाएगा। मुल्ला ने कहा कि हमने सोचा नहीं था कि इतनी आसानी से और इतनी जल्दी जीत मिलेगी। 
webdunia
दूसरी ओर, लोगों में तालिबान का इतना खौफ है कि उन्होंने टीवी, लैपटॉप और किताबें तक छिपा दी हैं। दूसरी ओर, यह भी खबर है कि ‍काबुल की दीवारों से महिलाओं के चित्रों को हटाया जा रहा है या साफ किया जा रहा है। लोगों को इस बात का भी डर है कि देश में एक बार फिर इस्लामिक कानून के तहत सजाएं देने का दौर शुरू हो जाएगा। महिलाएं बुर्के में ढंक जाएंगी, उनकी शिक्षा पर रोक लगा दी जाएगी। ऐसी ही और भी कई बातें हैं, जिनका डर लोगों के मन में बैठा हुआ है। 
कौन है तालिबान? : दुनिया का सबसे कुख्यात सशस्त्र संगठन है तालिबान। इसके कई आतंकवादी संगठनों से संबंध हैं। दरअसल, तालिबान पश्तो भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ज्ञानार्थी अर्थात विद्यार्थी। ऐसे छात्र, जो इस्लामिक कट्टरवाद में विश्वास रखते हैं। तालिबान का उदय 90 के दशक में उत्तरी पाकिस्तान में हुआ था जब अफगानिस्तान में सोवियत संघ की सेना वापस लौट रही थी।

सोवियत सेनाओं के अफगानिस्तान से जाने के बाद वहां कई गुटों में आपसी संघर्ष शुरू हो गया था। इसी बीच तालिबान का उदय हुआ और गुटीय संघर्ष से परेशान अफगानी लोगों ने तालिबान का स्वागत किया।
इस्लामिक कानून के तहत सजा : 1998 में अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्से पर तालिबान का कब्जा हो गया था। एक समय वह भी आया जब तालिबान का 'भस्मासुर' स्वरूप सामने आया और जिन लोगों ने उसका स्वागत किया, वही उससे दुखी हो गए। तालिबानियों ने इस्लामिक कानून के तहत लोगों को सजा देना शुरू किया।

इसके तहत हत्या के दोषियों को सार्वजनिक फांसी, चोरी के दोषियों के हाथ-पैर काटना आदि शामिल था। 2001 में अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बावजूद तालिबान ने विश्व प्रसिद्ध बामियान बुद्ध प्रतिमाओं को नष्ट कर दिया। 
 
तालिबान के सत्ता में काबिज होने के बाद पुरुषों को दाढ़ी रखने के लिए कहा गया और स्त्रियों पर बुर्का पहनने के लिए दबाव बनाया गया। टीवी, सिनेमा और संगीत के प्रति भी कड़ा रुख अपनाया गया। 10 वर्ष से ज़्यादा उम्र की लड़कियों के स्कूल जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। 
webdunia
अमेरिका के आने के बाद तालिबान के पांव उखड़े, लेकिन अमेरिका के जाते ही एक बार फिर तालिबान जोर पकड़ने लगा है। अमेरिका के नेतृत्व वाली नाटो सेनाओं ने साल 2001 में तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता से बेदखल कर दिया था। इसके बाद के सालों में वह फिर लगातार शक्तिशाली होता गया है और अब उसने एक बार फिर अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

UP में कोविड प्रोटोकॉल के साथ 4 महीने बाद खुले स्कूल, छात्रों की उपस्थिति बेहद कम रही