ट्रंप ने घोषणा की कि मुझे यह ऐलान करते हुए काफी खुशी हो रही है कि पूर्व सांसद लेफ्टिनेंट कर्नल तुलसी गबार्ड डीएनआई के रूप में सेवाएं देंगी। दो दशकों से अधिक समय तक तुलसी ने हमारे देश और सभी अमेरिकियों की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी है। राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की पूर्व उम्मीदवार के रूप में उन्हें दोनों दलों में व्यापक समर्थन प्राप्त है, लेकिन अब वह रिपब्लिकन पार्टी की अहम सदस्य हैं।
अमेरिका की पहली हिंदू सांसद : गबार्ड चार बार सांसद रह चुकी हैं और 2020 में वह राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए उम्मीदवार भी थीं। अमेरिका की पहली हिन्दू सांसद गबार्ड के पास पश्चिम एशिया और अफ्रीका के संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में तीन बार तैनाती का अनुभव है।
2022 में छोड़ी थी डेमोक्रेटिक पार्टी : तुलसी गबार्ड अमेरिकन समोआ का प्रतिनिधित्व करती थीं। हालांकि, साल 2022 में उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी का साथ छोड़ दिया था और स्वतंत्र राजनीति के रास्ते पर निकल गई थीं, लेकिन बाद में उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी मंच से रिपब्लिकन पार्टी में शामिल होने का ऐलान कर दिया था।
क्यों रखा तुलसी नाम : अमेरिकी समोआ में जन्मी तुलसी गबार्ड के पिता समोआ और यूरोपीय वंश के हैं, जबकि उनकी मां इंडियन हैं। हिंदू धर्म में उनकी रुचि के कारण उन्होंने उनका नाम तुलसी रखा। गबार्ड कांग्रेस की वोटिंग सदस्य बनने वाली पहली समोआ-अमेरिकी थीं। उन्होंने सेना में रहते हुए इराक में सेवाएं दीं। 2019 में जब उन्होंने डेमोक्रेट के रूप में अपना राष्ट्रपति अभियान शुरू किया, तब सभी ध्यान अपनी ओर खींचा।
Edited by : Nrapendra Gupta