लाहौर | पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ चुनाव जीतने के बाद से ही अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों और अपने बयानों को लेकर चर्चा में है। शनिवार को अपने खिलाफ दर्ज 16 अरब पाकिस्तानी रुपयों की मनी लॉन्डरिंग के मामले में एक विशेष अदालत में उन्होंने कहा कि पंजाब का मुख्यमंत्री रहने के दौरान उन्होंने वेतन तक नहीं लिया और ऐसा करने पर उन्होंने स्वयं को 'मजनू' कहा।
बता दें कि शाहबाज और उनके बेटों हमजा एवं सुलेमान के खिलाफ संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने नवंबर 2020 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और धनशोधन रोकथाम अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। हमजा फिलहाल पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री है वहीं सुलेमान फरार है और ब्रिटेन में रह रहा है।
एफआईए ने अपनी जांच में शरीफ परिवार के कथित 28 बेनामी खातों का पता लगाया है जिनके जरिए 2008 से 2018 तक 14 अरब रुपये की मनी लॉन्डरिंग की गई। अंग्रेजी समाचार पत्र 'डॉन' के मुताबिक शाहबाज ने कहा कि अल्लाह ने मुझे इस देश का प्रधानमंत्री बनाया है। मैं एक मजनू (नासमझ) हूं और मैंने अपना कानूनी अधिकार, अपना वेतन तथा अन्य कोई भी लाभ नहीं लिया है।
शहबाज पहली बार 1997 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे। उस वक्त उनके भाई नवाज शरीफ देश के प्रधानमंत्री थे। वर्ष 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा नवाज शरीफ सरकार को अपदस्थ किए जाने के बाद शहबाज ने परिवार के साथ 2007 में पाकिस्तान लौटने से पहले सऊदी अरब में आठ साल बिताए थे। वह 2008 में दूसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने और 2013 में तीसरी बार सत्ता में आए।
शाहबाज ने अदालत से कहा कि मेरे परिवार को मेरे फैसले के कारण दो अरब रुपये का नुकसान हुआ। मैं आपको हकीकत बता रहा हूं। जब मेरे बेटे का इथेनॉल उत्पादन संयंत्र स्थापित किया जा रहा था, तब भी मैंने इथेनॉल पर शुल्क लगाने का फैसला किया। उस फैसले के कारण मेरे परिवार को सालाना 80 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
शहबाज के वकील ने दलील दी कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार द्वारा दर्ज कराया गया मनी लॉन्डरिंग का मामला 'राजनीति से प्रेरित' और 'दुर्भावनापूर्ण इरादों पर आधारित' है।
बता दें विशेष अदालत ने 21 मई को पिछली सुनवाई के दौरान शहबाज और हमजा की अंतरिम जमानत 28 मई तक बढ़ाने के बाद मामले में सुलेमान के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।