Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सावधान! अत्यधिक बर्फ पिघलने से दुनिया में बाढ़ का खतरा

हमें फॉलो करें सावधान! अत्यधिक बर्फ पिघलने से दुनिया में बाढ़ का खतरा
, सोमवार, 1 नवंबर 2021 (20:23 IST)
लंदन। एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि ग्रीनलैंड में अत्यधिक बर्फ पिघलने से वैश्विक बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। अध्ययन से पता चलता है कि 2011 और 2020 के बीच, ग्रीनलैंड से बढ़े हुए पिघले पानी के प्रवाह ने वैश्विक समुद्र स्तर को एक सेंटीमीटर बढ़ा दिया
 
सोमवार को प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार पिछले एक दशक में ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर से जो 3.5 खरब (ट्रिलियन) टन बर्फ पिघली है, उसने पूरी दुनिया में समुद्र के स्तर को एक सेंटीमीटर बढ़ा दिया है, जिससे दुनिया भर में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
 
‘नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम ने समय के साथ सतह की ऊंचाई में बदलाव के अनुमानों का उपयोग करते हुए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के क्रायोसैट-2 उपग्रह मिशन से माप का उपयोग किया।
 
अध्ययन के सह-लेखक ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के लिन गिल्बर्ट ने कहा कि अवलोकन से पता चलता है कि ग्रीनलैंड में अत्यधिक मात्रा में बर्फ पिघलने की घटनाएं लगातार हो रही हैं जो एक वैश्विक समस्या है।
 
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष से निगरानी हमें पूरे ग्रीनलैंड (और लगभग सभी अंटार्कटिका) को बार-बार कवर करने में सक्षम बनाती है, जो कि जमीन स्तर पर टीम द्वारा नहीं किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि पिछले चार दशकों में ग्रीनलैंड के पिघलने के कारण पानी के प्रवाह में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
 
समुद्र का स्तर बढ़ा : अध्ययन से पता चलता है कि 2011 और 2020 के बीच, ग्रीनलैंड से बढ़े हुए पिघले पानी के प्रवाह ने वैश्विक समुद्र स्तर को एक सेंटीमीटर बढ़ा दिया, जिससे दुनियाभर में बाढ़ का खतरा बढ़ गया और आर्कटिक महासागर में समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र बाधित हो गया।
 
शोधकर्ताओं ने कहा कि समुद्र का स्तर बढ़ने से समुद्र और वायुमंडलीय परिसंचरण के स्वरूप में भी बदलाव आ सकता है जो दुनियाभर में मौसम की स्थिति को प्रभावित करता है।
 
527 अरब टन बर्फ पिघली : शोध में पाया गया कि इसमें से एक तिहाई बर्फ तो सिर्फ दो सालों (2012 और 2019) के गर्मियों के मौसम में पिघली। शोधकर्ताओं ने कहा कि गर्म लहरें बर्फ के पिघलने का एक बड़ा कारण बन रही हैं। जैसे 2012 में वातावरण में बदलावों की वजह से बर्फ की चादरों पर कई हफ्तों तक असामान्य रूप से गर्म हवाओं का प्रभाव रहा और उस वजह से 527 अरब टन बर्फ पिघल गई।
 
शोध के सह-लेखक एम्बर लीसन ने कहा कि मॉडल अनुमान बताते हैं कि वर्ष 2100 तक समुद्र के वैश्विक स्तर को बढ़ाने में ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर का तीन से 23 सेंटीमीटर तक योगदान होगा।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

NEET के परिणाम को लेकर चिंतित युवक ने की आत्महत्या