उल्कापिंड बताएगा, कैसी है पृथ्वी की अंदरूनी सतह?
वारसा , गुरुवार, 1 नवंबर 2012 (11:52 IST)
पोलैंड के भूवैज्ञानिकों ने पूर्वी यूरोप में अब तक का सबसे बड़ा उल्कापिंड खोजा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस 300 किलों के इस उल्कापिंड पर किए जा रहे अध्ययन से यह पता चल सकेगा की पृथ्वी की अंदरूनी सतह कैसी है।प्रोफेसर एन्द्रेज मस्जिन्स्की ने पश्चिमी पोलैंड स्थित पोजनैन में कहा कि हम जानते हैं कि पृथ्वी की अंदरूनी सतह में लौह अयस्क है। लेकिन हम इसका अध्ययन नहीं कर सकते। हमारे पास बाहरी अंतरिक्ष का यह उल्कापिंड है जो संरचना में बिल्कुल वैसा ही है और इसका हम आसानी से अध्ययन कर सकते हैं।पोलिश समाचार एजेंसी पीएपी ने भूवैज्ञानिकों को यह कहते हुए उद्धृत किया है कि इससे ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में हमारी जानकारी व्यापक हो सकती है।उल्कापिंड की खोज कर रहे दो भूवैज्ञानिकों ने 300 किलोग्राम वजन वाला, शंकु के आकार का यह उल्कापिंड खोजा जिसमें लौह अयस्क की बहुतायत है। दो मीटर व्यास वाला यह उल्कापिंड पिछले माह पोजनैन के उत्तर में मोरास्को मीटियोराइट रिजर्व में दो मीटर की गहराई पर मिला।दोनों भूवैज्ञानिक पृथ्वी की सतह पर भूचुंबकीय विसंगतियों का पता लगाने के लिए उपकरण का उपयोग कर रहे थे।प्रोफेसर वोजसाइच स्टैन्कोव्स्की ने कहा कि यह यूरोप के इस भाग में मिला अब तक सबसे बड़ा उल्कापिंड है।इस उल्कापिंड का अध्ययन कर रहे भूवैज्ञानिकों को मानना है कि यह उल्कापिंड करीब 5,000 साल पहले धरती पर गिरा। इसमें लौह अयस्क की बहुलता है और निकल के अंश भी पाए गए हैं। (भाषा)