पाकिस्तान के एक नागरिक से विवाह करने के लिए अपना देश और धर्म छोड़ने वाली भारतीय महिला धोखा खाने और करीब 13 वर्ष तक कैद में रहने के बाद अब घर वापस आ सकती है।
उसके घर वापसी की संभावनाएं मानवाधिकार आयोग द्वारा उसका मामला अपने हाथ में लेने के बाद पैदा हुई हैं। शबनम (शिर्ले एन हॉज) की मुलाकात गुल खान (पाकिस्तानी नागरिक) से भारत में हुई। वह विवाह के बाद अपने नवजात शिशु को लेकर गुल खान के परिवार से मिलने के लिए 13 वर्ष पहले कराची पहुंची।
कराची पहुंचने के बाद उसे गुल खान की पहली पत्नी और छह बच्चों से मिलवाया गया और फिर शबनम को कभी वापस आने नहीं दिया गया।
इस मामले के सामने आने के बाद पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग और मानवाधिकार कार्यकर्ता अस्मा जहांगीर और अंसार बर्नी ने शबनम को घर भेजने के लिए कोशिशें शुरू कर दी हैं।
आयोग के अब्दुल हई और बर्नी ने पुष्टि की है कि भारत के अहमदाबाद से महिला के परिजनों ने उनसे मदद मांगी है और अब वे इस मामले को देख रहे हैं। ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार शबनम और गुल खान की शादी वर्ष 1997 में अहमदाबाद में हुई।
शबनम ने कहा कि पहले मेरा नाम शिर्ले एन हॉज था, लेकिन गुल खान से मिलने और वर्ष 1997 में अहमदाबाद में विवाह के बाद मैंने आपन नाम और धर्म दोनों बदल लिया।
शबनम को कराची पहुंचने के बाद अपने जीवन का सबसे भयावह पल देखने को मिला। वहां उसे गुल खान का पहली पत्नी और छह बच्चों से मिलवाया गया, उसका भारत का पासपोर्ट जब्त कर लिया गया, उसे तोहफे में बुर्का दिया गया और ससुराल के मकान में सबसे ऊपरी मंजिल पर बंद कर दिया गया।
13 वर्ष से लांधी इलाके में अपने ससुराल के घर में बंद शबनम को कभी किसी से मिलने नहीं दिया गया। बाहर की दुनिया से वह सिर्फ इंटरनेट और मोबाइल फोन के जरिए मिल सकती थी।
उसने अखबार को बताया कि मैं एक कैदी हूं और यह जहन्नुम है। वर्षों से मैं अपने कमरे से बाहर नहीं निकली हूं। मैं भारत में अपने परिवार के पास वापस जाना चाहती हूं। शबनम का कहना है कि उसे नहीं मालूम उसके पति ने धोखा क्यों दिया।
उसने कहा कि मेरी बेटियों को स्कूल नहीं जाने देते। हमें छड़ी से मारा जाता है और गालियां दी जाती हैं। हमारी जिंदगी दम घोंटने वाली है। इतने लंबे अर्से तक शबनम को अपने परिवार से यह सब कुछ छुपाकर रखना पड़ा क्योंकि उसे सिर्फ अपने पति के सामने ही अपने परिवार से बात करने की छूट थी।
कुछ महीनों पहले ही वह स्काइप के माध्यम से अपने परिवार तक पहुंच सकी। अहमदाबाद से शबनम के भाई नोएल हॉज ने कहा कि वह इतने वर्ष बाद अपनी बहन को देखकर चकित थे।
उनका कहना है कि अब उसका वजन 100 किलोग्राम हो गया है। वह हमेशा रोती रहती है। हमें उसकी बहुत चिंता हो रही है। शबनम के परिवार ने उसे मुक्त कराने के लिए पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त और मानवाधिकार कार्यकर्ता अस्मा जहांगीर को पत्र लिखा है। (भाषा)