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एचआईवी अब भी पहेली क्यों है?

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वॉशिंगटन , शुक्रवार, 23 मार्च 2012 (19:51 IST)
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वैज्ञानिकों ने एक ताजा अध्ययन में पाया है कि संक्रमण के भीतर एक विषाणु के जरिए तेजी से बढ़ने की एचआईवी की क्षमता ने ही उसे आज तक पहेली बने रहने में मदद की है। एचआईवी विषाणु ही घातक एड्स रोग के लिए जिम्मेदार होता है।

एक अंतरराष्ट्रीय दल ने पाया कि संक्रमण के शुरुआती दौर में भी, जब विषाणुओं की तादात कम होती है, एचआईवी (हयूमन इम्युनोडेफीसिएंसी वायरस) तेजी से बढ़कर प्रतिरोधक क्षमता तथा इलाज के प्रतिकूल काम करता है। इस दल ने अध्ययन में कम्प्यूटर की भी मदद ली।

‘एडीलेड विश्वविद्यालय’ के वैज्ञानिकों ने कहा कि इस अध्ययन के नतीजे एचआईवी का सटीक इलाज ढूंढने का रास्ता साफ कर सकते हैं।

‘जेनेटिक्स’ पत्रिका में छपे इस शोध ने इस आम धारणा को चुनौती दी है कि संक्रमण के शुरुआती दौर वाली परिस्थितियों में विषाणुओं का बढ़ना बहुत कम होता है।

दल के प्रमुख जैक डि सिल्वा ने कहा कि मेरा विश्वास है कि एड्स का इलाज खोजने का प्रयास अब तक नाकाम रहा क्योंकि हम एचआईवी के बढ़ने की प्रक्रिया समझ नहीं पाए।

इस खोज के लिए वैज्ञानिकों ने कम्प्यूटर का उपयोग करके यह पता करने की कोशिश की कि क्या वास्तविक स्थितियों में, संक्रमण के एक विषाणु से शुरू होने पर ही विषाणु तेजी से बढ़ सकते हैं। (भाषा)

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