Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

ओटिस ने नियुक्त किया नया वकील

गाँधी की वस्तुओं को पुन: हासिल करेंगे ओटिस

हमें फॉलो करें ओटिस ने नियुक्त किया नया वकील
न्यूयॉर्क (भाषा) , मंगलवार, 17 मार्च 2009 (11:43 IST)
महात्मा गाँधी की नीलाम की गई निजी वस्तुओं पर स्वामित्व का दावा करने वाले जेम्स ओटिस ने अपने कानूनी प्रतिनिधि के रूप नए वकील को नियुक्त किया है।

नीलामी में शराब निर्माता विजय माल्या द्वारा 18 लाख डॉलर में खरीदी गई वस्तुओं को ओटिस वापस चाहते हैं। वह नीलामी कंपनी एंटीकोरम आक्सनर्स से इसके लिए संपर्क में हैं।

ओटिस के पूर्व वकील रवि बत्रा ने शुक्रवार को कहा था कि नीलाम वस्तुओं की वापसी के लिए वह नीलामी कंपनी को लिखित आवेदन दे रहे हैं। बत्रा ने बताया कि कंपनी के रुख के बाद वह कोई कानूनी कदम उठाएँगे।

लेकिन सोमवार को बत्रा ने कहा कि उन्होंने ओटिस के लिए काम करना छोड़ दिया है। पाँच मार्च को बतौर जेम्स ओटिस के वकील के रूप में काम करने वाले बत्रा ने मुवक्किल के मुद्दों की गोपनीयता का हवाला देकर अपने इस्तीफे का कारण नहीं बताया।

बत्रा के इस्तीफे के संबंध में पूछे जाने पर ओटिस ने कहा कि अब उनका प्रतिनिधित्व थामस किसाने करेंगे और वह मुद्दे का हल निकालने के लिए न्यूयॉर्क स्थित अटार्नी जनरल कार्यालय से संपर्क करेंगे।

गाँधीजी की निजी वस्तुएँ अब भी नीलामी करने वाली कंपनी के पास है। दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर नीलामी पर लगी रोक के कारण उत्पन्न कानूनी जटिलता के समाधान में विधि मंत्रालय से किसी फैसले का इंतजार किया जा रहा है।

नवजीवन ट्रस्ट ने कहा था कि गाँधी जी की सारी संपत्ति की वह संरक्षक है। इसके आधार पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने नीलामी स्थगित करने की अनुमति दे दी थी।

विधि मंत्रालय द्वारा नीलामी को गैरकानूनी करार दिए जाने के मुद्दे पर विश्लेषक कहते हैं कि ओटिस द्वारा वस्तुओं को लौटाने की माँग किए जाने से स्थिति काफी जटिल हो सकती है।

तीसरे पक्ष के दावे पर निर्णय से पूर्व विधि मंत्रालय ने नीलामीकर्ताओं को नोटिस देकर सफल बोली लगाने वालों को इन वस्तुओं के हस्तांतरण पर रोक लगा दी लेकिन इसने नीलामी जारी रखने की अनुमति दे दी थी।

नीलामी कंपनी ने दो सप्ताह तक इन वस्तुओं को अपने पास रखने की घोषणा की थी जो अगले सप्ताह समाप्त होने वाली है।

ओटिस ने गाँधीजी की इन वस्तुओं के एवज में भारत सरकार से समझौता चाहा था। वह गरीबों के लिए आवंटन बढ़ाने तथा 78 देशों में गाँधी जी के वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाने तथा उनके अहिंसा के सिद्धांत का प्रसार करने के लिए भारत सरकार से राशि का भुगतान चाहते थे। भारत सरकार पहले ही इस प्रस्ताव को खारिज कर चुकी है।

2
Share this Story:

Follow Webdunia Hindi