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धूमकेतु के पास पहुंचा अंतरिक्ष यान

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पेरिस , रविवार, 3 अगस्त 2014 (10:26 IST)
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पेरिस। एक दशक तक लगातार सफर के बाद तकरीबन 6 अरब किलोमीटर यानी 3.75 अरब मील की दूरी तय कर एक यूरोपीय प्रोब (एक तरह का अंतरिक्ष यान) बुधवार को उस धूमकेतु के सामने होगा, जो सौरमंडल के रहस्यमयी पिंडों में से एक है।

यूरोपीय प्रोब की धूमकेतु 67पी-चुरयुमोव-गेरासीमेन्को से मुलाकात वास्तव में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) की अब तक की सर्वाधिक महत्वपूर्ण परियोजना का एक अहम चरण होगा। इस पर ईएसए ने 1.76 अरब डॉलर की रकम खर्च की है।

अंतरिक्ष यान रोसेटा को मार्च 2004 में प्रक्षेपित किया गया था और तब मूल प्रक्षेपण स्थल से 4 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर यह बुधवार को अपने लक्ष्य के करीब पहुंच जाएगा। अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए रोसेटा को मंगल और पृथ्वी के चार चक्कर लगाने पड़े।

अपनी गति तेज करने के लिए उसने इनके गुरुत्वाकर्षण बल का उपयोग एक गुलेल की तरह किया और फिर इसने 31 माह की शीतनिद्रा (हाइबरनेशन) में प्रवेश किया, क्योंकि सूर्य की रोशनी से बेहद दूर होने की वजह से यह रोशनी इसके सौर पैनलों के लिए बेहद कमजोर हो गई थी। जनवरी में रोसेटा का सफर दोबारा शुरू हुआ।

धूमकेतु पर कैसे उतरेगा अंतरिक्ष यान... अगले पन्ने पर...


अब बुधवार को रोसेटा धूमकेतु से मात्र 100 किमी दूर ही होगा। अंतरिक्ष यान के प्रचालन प्रबंधक सिल्वैन लॉडियट ने कहा कि यहां तक पहुंचने में 10 साल लगे। अब हमें यह देखना होगा कि धूमकेतु पर कैसे उतरा जा सकता है और लंबे समय तक वहां कैसे रहा जा सकता है।

11 नवंबर को रोसेटा को धूमकेतु के और करीब भेजने की योजना है ताकि 100 किलोग्राम वजन की और रेफ्रिजरेटर के आकार की एक रोबोट प्रयोगशाला ‘फिले’ को वहां छोड़ा जा सके।

धूमकेतुओं के बारे में माना जाता है कि ये सौर प्रणाली में मौजूद बेहद पुरानी धूल और बर्फ के समूह हैं। इनका निर्माण करीब 4.6 अरब साल पहले ग्रहों के निर्माण से बचे मलबे से हुआ था। (भाषा)

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