बांग्लादेश अर्धसैनिक अदालत ने मंगलवार को 665 विद्रोही सीमारक्षकों को साल 2009 के बीडीआर विद्रोह में उनकी भूमिका को लेकर अलग-अलग अवधि की कारावास की सजा सुनाई। देश उन सैनिकों के खिलाफ मुकदमे को पूरा करने के करीब है, जिन पर मामूली विद्रोह के आरोप थे।
सरकारी अभियोजक लेफ्टिनेंट कर्नल जाकिर हुसैन ने कहा कि विशेष (अर्धसैनिक) अदालत ने आज 44 वीं राइफल्स बटालियन के 665 जवानों को चार महीने से लेकर सात साल तक के सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
पूर्ववर्ती बीडीआर को अब बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के नाम से जाना जाता है। इसका नाम साल 2009 में ढाका स्थित सीमांत बल के पीलखाना मुख्यालय में 25-26 फरवरी को हुए नरसंहार के बाद बल का कायाकल्प करने की कवायद के तहत बदला गया था।
लूटपाट जैसे मामूली अपराध करने वाले सैनिकों के खिलाफ मुकदमा अर्धसैनिक अदालतों में चल रहा है वहीं एक अन्य अदालत में समानांतर सुनवाई चल रही है जो 57 सैन्य अधिकारियों समेत 74 लोगों की हत्या करने वाले मुख्य अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चला रही है।
हुसैन ने कहा कि बीजीबी कर्नल याह्या आजम खान की अध्यक्षता वाली अदालत ने साथ ही प्रत्येक दोषी पर 100-100 टका का जुर्माना भी लगाया और आठ सैनिकों को बरी कर दिया क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बीडीआर अधिनियम के तहत साबित नहीं किए जा सके। (भाषा)