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भारत-ईरान वार्ता के विषय होंगे व्यापार, सुरक्षा, सीरिया

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तेहरान , बुधवार, 29 अगस्त 2012 (22:54 IST)
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प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनी तथा राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के साथ बैठकों में आपसी व्यापार मेजबान देश के पक्ष में बहुत अधिक झुके होने, भारत को तेल एवं गैस की आपूर्ति के साथ-साथ सीरिया के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है।

दोनों पक्षों के बीच रणनीतिक महत्व के द्विपक्षीय विषयों और महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श होने की संभावना है। हालांकि भारत और ईरान के बीच किसी तरह की किरकिरी जैसी चीज नहीं है, लेकिन बैठक के दौरान प्रधानमंत्री सिंह द्वारा व्यापार संतुलन का मुद्दा उठा सकते हैं, क्योंकि अभी अपसी व्यापार में भारत के निर्यात की तुलना में ईरान का निर्यात बहुत उंचा है।

प्रधानमंत्री ईरानी नेताओं के सामने यह बात उठाएंगे कि ईरान भारत से गेहूं, चाय तथा अन्य वस्तुओं का आयात बढ़ाए। प्रधानमंत्री गुटनिरपेक्ष शिखर बैठक के सिलसिले में मंगलवार को यहां पहुंचे।

ईरान के शीर्ष नेताओं के साथ उनकी एक के बाद एक बैठक तय है। इन बैठकों का इस दृष्टि से भी महत्व है कि अमेरिकी प्रशासन ईरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम के मद्देनजर भारत और अन्य देशों पर उसके संबंध सीमित करने के लिए लगातार दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है।

भारत-ईरान के द्विपक्षीय संबंधों में तेल आपूर्ति का बड़ा स्थान है। ईरान के खिलाफ अमेरिका के आर्थिक-व्यापारिक प्रतिबंधों के मद्देनजर इन बैठक में इस विषय पर भी चर्चा स्वाभाविक है। अमेरिका की आपत्ति के बावजूद भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह ईरानी तेल की खरीद जारी रखेगा।

सरकारी सूत्रों ने कहा, हम ईरानी तेल के अभी भी सबसे बड़े खरीदार हैं। हम ऐसा करना जारी रखेंगे। हालांकि अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते ईरान से भारत जाने वाले तेलवाहक पोतों के लिए बीमा सुविधा को लेकर कुछ दिक्कत आ रही है, जिसे सुलझाया जा रहा है।

समझा जाता है कि प्रधानमंत्री की ईरान के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक में 6 अरब डॉलर की गैस भंडार परियोजना फरजाद-बी ब्लाक का मुद्दा भी उठ सकता है। पिछले कुछ समय से ओएनजीसी विदेश लि. (ओवीएल) तथा ईरानियन आफशोर आइल कंपनी (आईओओसी) के बीच इस पर बातचीत चल रही है। अब अमेरिकी प्रतिबंधों से ओवीएल के व्यावसायिक हित को झटका लगने की आशंका पैदा हो गई है।

दो कारणों से ओवीएल पर इन प्रतिबंधों का असर हो सकता है। एक यह कि ओवीएल के पास कई अमेरिकी कंपनियों का लाइसेंस है। दूसरा यह कि ईरान पर बैंकिंग प्रतिबंध की वजह से उसे धन जुटाने में परेशानी आ सकती है।

यह बैठक दोनों देशों को सीरिया के बढ़ते संकट के साथ विभिन्न द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मसलों पर एक-दूसरे के विचारों को समझने और उन्‍हें स्पष्ट करने का मौका प्रदान करेगी।

ईरान के सर्वोच्च नेता से प्रधानमंत्रीसिंह की बैठक इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि अहमदीनेजाद का राष्ट्रपति का कार्यकाल अगले साल खत्म हो रहा है। भारत और ईरान के बीच बैठक से पहले भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि दोनों देशों के बीच बातचीत का मुख्य मुद्दा शांति और सुरक्षा होगा, जो मुख्य चिंता का विषय है।

विदेश सचिव रंजन मथाई ने नई दिल्ली में कहा, समूचे पश्चिम एशिया क्षेत्र विशेषकर खाड़ी क्षेत्र के महत्व को देखते हुए शांति और सुरक्षा निश्चित रूप से हमारी मुख्य चिंता है। यह क्षेत्र भारत की सुरक्षा और भारत के तेल आयात और भारत से वस्तुओं के निर्यात, इन सभी दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। यह हमारी खुद की चिंता है। हम किसी अन्य की चिंता को प्राथमिकता नहीं दे सकते हैं। (भाषा)

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