संविधान के अनुसार काम करूंगा : गिलानी
लाहौर , रविवार, 11 मार्च 2012 (18:19 IST)
राष्ट्रपति के खिलाफ रिश्वत के मामलों को फिर से खोलने के लिए स्विस प्रशासन को पत्र लिखने के सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए अल्टीमेटम से भ्रमित और हैरान प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने कहा कि वह संविधान के अनुसार काम करेंगे।स्विस प्रशासन को पत्र लिखने के लिए 21 मार्च तक की तारीख का सुप्रीम कोर्ट द्वारा अल्टीमेटम दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर गिलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सामने दो मामले थे, जिन्हें मीडिया ने मिला दिया और एक मामले में तो उनके पास वकील तक नहीं था।उनसे सवाल किया गया था कि क्या शीर्ष अदालत के आदेश का यह मतलब है कि उन्हें अदालत की सलाह पर काम करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि उन्हें बिना अपने विधि विशेषज्ञों की सलाह लिए राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ रिश्वत के मामलों को फिर से खोलने के लिए स्विस प्रशासन को लिखना चाहिए।प्रधानमंत्री ने कहा दो मामले हैं, जिन्हें मीडिया ने मिला दिया है। एक मामला मेरे खिलाफ अवमानना का है, जिसमें मेरे वकील एतजाज अहसन हैं। इस मामले में कोई फैसला नहीं आया है। गिलानी ने कहा कि एक दूसरा मामला है जिसमें मेरे पास कोई वकील नही है। अदालत द्वारा ऐसा कुछ कहा गया है, जहां मेरा कोई वकील नहीं है, कोई प्रतिनिधि नहीं है या जानकारी नहीं है.... ठीक?... मैं किसी की सलाह नहीं लूंगा लेकिन मैं संविधान के अनुसार काम करूंगा। गिलानी आठ मार्च के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे। अदालत ने उन्हें निर्देश दिया है कि वह जरदारी के खिलाफ मामलों के खोलने के लिए स्विस प्रशासन को लिखें। अदालत ने विशेष तौर पर कहा है कि उन्हें अपने कानूनी सलाहकारों की सलाह का इंतजार किए बिना कार्रवाई करनी चाहिए।सुप्रीम कोर्ट ने स्विस प्रशासन को पत्र लिखने के संबंध में गिलानी के लिए 21 मार्च तक की समय सीमा निर्धारित की है। अदालत ने राष्ट्रीय सुलह समझौता अध्यादेश को रद्द करने वाले आदेश के क्रियान्वयन के संबंध में एक मामले की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए। रिश्वत के मामलों में जारी की गयी आम माफी का लाभ जरदारी समेत आठ हजार से अधिक अन्य लोगों को मिला था।अदालत गिलानी के खिलाफ अवमानना के एक अलग मामले की सुनवाई कर रही है जो जरदारी के खिलाफ मामले फिर से खोलने के उसके बार बार जारी किए गए आदेशों पर कार्रवाई करने में विफल रहने के संबंध में है। अदालत कह चुकी है कि अवमानना की कार्रवाई का रिश्वत माफी मामले में उसके फैसले के क्रियान्वयन पर असर नहीं पड़ना चाहिए।शीर्ष अदालत अवमानना के मामले में गिलानी के खिलाफ 21 मार्च से फिर सुनवाई करेगी। पाकिस्तानी पत्रकारों के एक समूह के साथ बीती रात बातचीत में गिलानी ने कहा था मैं भ्रम में हूं क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि पत्र में (स्विस प्रशासन) सुप्रीम कोर्ट मुझसे किस मामले का हवाला दिलवाना चाहता है। आठ मार्च के अदालत के आदेश के संबंध में किए गए सवाल पर गिलानी ने कहा था मैं नियमों का पालन करता हूं, संविधान का पालन करता हूं और मुझे नहीं लगता कि मैंने कोई अवमानना की है। बीती रात गिलानी ने कहा था कि उन्हें हर रोज कई फाइलों पर हस्ताक्षर करने होते हैं और राष्ट्रहित में फैसले करने होते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें पक्का पता नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट ने किस मामले का जिक्र किया है। उन्होंने कहा था कि वह न्यायपालिका का ‘‘पूरा सम्मान’’ करते हैं और अपने वकील से सलाह मशविरा करने के बाद आगे की कार्रवाई का फैसला करेंगे। (भाषा)