गुस्ताख का एक अर्थ होता है किसी का अपमान करना। लेकिन एक अर्थ होता है अपनी क्षमताओं से बाहर जा कर कुछ ऐसा करना जो मौजूदा परिस्थिति में असंभव हो। कोलकाता नाइट राइडर्स के कप्तान दिनेश कार्तिक अपने फैसलों के कारण गुस्ताख कहे जा सकते हैं। आइए समझते हैं कि वह गुस्ताख क्यों हैं।
बुधवार को मुंबई इंडियंस का मैच कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ ईडन गार्डन में खेला गया। इस मैच को मुंबई ने 102 रनों से जीत लिया। केकेआर के कप्तान दिनेश कार्तिक ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का निर्णय लिया और एक विशालकाय लक्ष्य (211) का पीछा करने उतरी केकेआर की टीम महज 108 रन बना सकी।
कुछ ऐसा ही वानखेड़े में भी देखा गया जब दिनेश कार्तिक ने टॉस जीता और मुंबई इंडियंस को पहले बल्लेबाजी का न्यौता दिया। यहां भी कोलकाता की टीम को 13 रनों की हार झेलनी पड़ी। अब सवाल यह है कि जब लक्ष्य का पीछा करने की योजना मुंबई इंडियंस के खिलाफ पहले मुकाबले में सफल साबित नहीं हुई, तो यह जोखिम बुधवार को वापस क्यों लिया गया। क्यों न पहले बल्लेबाजी कर मुंबई इंडियंस पर दबाव बनाया गया
दूसरी बात, दिनेश कार्तिक नाबाद पारियां खेल कर आ रहे हैं लेकिन उस से टीम को फायदा नहीं मिल पा रहा है। डीके ने रक्षात्मक कप्तानी से अलग न करने की जैसे कसम खा रखी है। लेग स्पिनर पियुष चावला से उन्होंने आखिरी ओवर करवाया, जिसमें 22 रन पड़ गए। रसैल जैसे पार्ट टाइम गेंदबाज को मुंबई इंडियंस के सलामी बल्लेबाज ल्यूस के सामने भेजा जा रहा है। यह साफ दर्शाता है कि दिनेश कार्तिक अति रक्षात्कमक बनकर अपनी टीम को मैच जीतना चाहते हैं। अब देखना यह है कि क्या डीके खुद की कप्तानी में बदलाव करते हैं या यह गुस्ताखियां जारी रखते हैं?