जैसा सोचा था वही हुआ और मुंबई पांचवी और लगातार दूसरी बार चैंपियन बन गई। अंदाज़ तो था लेकिन उम्मीद नहीं थी कि इतनी आसानी से सब कुछ हो जाएगा। इतना ही नहीं भाग्यशाली गोलू-मोलू रोहित शर्मा के हिस्से में खिताब छठी बार आया (5 बार मुंबई, 1 बार डेक्कन चार्जर्स)। खैर, मैच की बात करते हैं सिक्के की उछाल में बाजी मारकर दिल्ली मैदान में उतरी और पिछले मैच के स्टार स्टोइनिस के रूप में ट्रेंट बोल्ट ने पहली गेंद पर उनका बटका भर लिया।
पावर प्ले में घात लगाकर शिकार करने में उस्ताद बोल्ट (कुल 25 विकेट) ने रहाणे को भी अजिंक्य रहने नहीं दिया। धवन भी लाड में आ गए और जयंत यादव को मारने के चक्कर में अपने स्टम्प खो बैठे।
खिताब की दावेदारी ऐसे नहीं होती और 10 ओवर में 75/3 का लटका चेहरा लेकर स्कोर बोर्ड बड़ी मासूमियत से खड़ा था। श्रेयस अय्यर 64 (49) नाबाद के साथ ऋषभ पंत ने पूरी स्पर्धा में पहली बार अर्धशतक की मुंह दिखाई दी। शायद बता रहे थे कि वे केवल बड़े मैच में अपना खेल दिखाते हैं।
इन दोनों के अलावा स्कोर बोर्ड को मानों सांप सूंघ गया था। इस मैच में बगैर विकेट के बुमराह अपनी पर्पल कैप खो बैठे लेकिन वास्तव में अच्छी गेंदबाजी कर गए। पंत-अय्यर ने चौथे विकेट की साझेदारी में 96 रन जोड़ लिए अन्यथा दिल्ली के पास शेष कुछ भी नहीं था।
बोल्ट का पेट भरा नहीं था और वापसी में उन्होंने हेटमायर का भी बटका भर लिया। कूल्टर नाइल ने भी पंत और अक्षर के विकेट चटखाकर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवाई।
किसी भी लिहाज से 156 का लक्ष्य कतई लक्ष्य नहीं था। पहली गेंद पर बोल्ट का शिकार होने वाले स्टोइनिस ने डिकॉक (20) को अपनी पहली ही गेंद पर चलता कर दिया लेकिन उसके बाद गेंदबाजों के लिए कुछ भी लिखने के अल्फाज ही नहीं बचे थे।
रोहित शर्मा ने अपने 200वें मैच में 51 गेंदों में 68 रनों की दमदार पारी खेली। स्पर्धा के सुपर स्ट्राइकर ईशान किशन ने दूसरे छोर से उत्कृष्ट बल्लेबाजी करते हुए मात्र 19 गेंदों में 33 रनों की नाबाद पारी खेलकर सारे किंतु परंतु को विश्राम दे दिया।
हालांकि इस दौरान मुंबई के 5 विकेट गिर गए लेकिन वास्तव में पूरे फाइनल में कैपिटल्स दिल्ली नहीं बल्कि बिल्ली बनकर खेली। 19वें ओवर में एनरिच ने 2 विकेट अवश्य लिए लेकिन वह सांप निकल जाने के पश्चात लकीर पीटने के लायक थे।
वास्तव में पूरी स्पर्धा में यदि किसी ने पावर प्ले में बल्लेबाजों के नट में दशहत के बोल्ट कसे तो वे ट्रेंट बोल्ट ही रहे। भले ही रबाडा़ ने पूरी स्पर्धा में 30 विकेट चटंकाए लेकिन बोल्ट (25) और बुमराह (27) ने मुंबई के कैनवास में चटक रंग भरे लेकिन इसमें ईशान किशन 500+ का रंग सबसे लुभावना रहा।
ईशान किशन एवं सूर्यकुमार यादव को अब तक भले ही अंतरराष्ट्रीय दर्जा हासिल नहीं है लेकिन इनकी शानदार बल्लेबाजी ने तमाम अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय खिलाडियों की अपने बल्ले से बोलती बंद कर दी। वास्तव में यदि आप में प्रतिभा है तो केवल वही बोलती है और सारी दुनिया उसका श्रवण करती है। फिल्मी अंदाज में कहे तो पब्लिक झंडू बाम हुई मुंबई तेरे लिए।