हाँ, मेरी बात पर यकीन कीजिए। आईपीएल में जिस तरह से ग्लैमर को जगह और प्रमुखता दी गई है, आने वाले सालों में प्रियंका चोपड़ा जैसी बॉलीवुड स्टार ड्रिंक्स इंटरवल में पानी की ट्रे थामे नजर आ सकती है। क्रिकेट को बीसीसीआई नहीं, हुजूर, बाजार चला रहा है। और यह सब क्रिकेट के हित में नहीं है। यह बात 'द हिन्दू' और 'स्पोर्ट्स स्टार' के संवाददाता विजय लोकपल्ली ने एक्सक्लूसिव बातचीत में कही।
अंग्रेजी अखबार की नुमाइंदगी करने वाले सादा तबीयत इस पत्रकार को कुर्ता पहने देखना और हिंदी बोलते, सुनना सुखद था। ट्वेंटी-20 और आईपीएल उनका मानना था कि ये सारा फारमेट खिलाड़ी के लिए अच्छा है क्योंकि तकनीक गुम है। आउट होने पर कोई नहीं पूछता कि आपने गलत शॉट क्यों खेला, लेकिन क्रिकेट के लिए यह अच्छा नहीं।
आईपीएल से इंटरटेनमेंट तो हो रहा है, इस पर लोकपल्ली ने कहा क्रिकेट सदा से मनोरंजक रहा है, ग्लैमरपूर्ण रहा। क्रिकेटर्स की अदाएँ आज नहीं, लाला अमरनाथ जयसिंह, छावरी, अब्बास अली बेग, ब्रजेश पटेल और इंजीनियर के जमाने से जनमानस को लुभाती रही है। उसमें अतिरिक्त इंटरटेनमेंट और ग्लैमर डालने की क्या जरूरत है। हमें क्रिकेटर की खासियत का पता नहीं है। वह ओपनर है, लेग स्पिनर है या तेज गेंदबाज, हम ये नहीं जानना चाहते हमें खबर में चाहिए कि फला खिलाड़ी का अनुबंध कितने में हुआ! अब ये सब क्रिकेट को कहाँ ले जाएगा, खुदा ही जाने।
लोकपल्ली ने यह भी कहा कि बीसीसीआई को किसी भी तरह से दर्शक मैदान में चाहिए। भारत 'वन स्पोर्ट्स नेशन' है जिससे क्रिकेट खिलाड़ी को सितारा दर्जा मिलता है। आपने क्रिकेट में आए ग्लैमर के लिए दर्शकों और क्रिकेट प्रेमियों को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने बड़ी पते की बात कही कि जिस बद्रीनाथ लक्ष्मीपति बालाजी को हमारा दर्शक रंजी ट्रॉफी में नहीं देखने जाता, वही आईपीएल में आकर इन खिलाड़ियों को चीयर-अप कर रहा है।
लोकपल्ली ने क्रिकेट के अलावा हॉकी की दुर्दशा पर भी बेबाक बात कही। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई बड़ा भाई बनकर हॉकी के 40 एस्ट्रोटर्फ डेवलप करने जा रहा है लेकिन इससे हॉकी के दिन नहीं बदलने वाले। उसके लिए सघन प्रतिभा खोज की जरूरत है। बिगड़ैल बेटे को केंब्रिज में भर्ती कर देने से वह पढ़-लिख नहीं जाएगा
लोकपल्ली टेस्ट क्रिकेट के लिए बहुत आशावान नजर आए। उन्होंने कहा कि जैसे मुगले आजम, शोले, मदर इंडिया, आवारा फिल्में कभी पुरानी नहीं पड़ती, वैसे ही टेस्ट क्रिकेट पुराना नहीं पड़ेगा। उन्होंने बेबाकी से कहा कि दर्शकों को क्रिकेटर्स में सेलिब्रिटी तलाशना बंद करना होगा। आंद्रे अगासी टेनिस रेकेट को प्रमोट करेंगे लेकिन किसी रेफ्रीजरेटर या टीवी को नहीं। हमारे क्रिकेटर्स न जाने क्या-क्या बेचते नजर आ रहे हैं। और हम उनके एडोर्समेंट्स को सर आँखों पर ले रहे हैं। क्रिकेट बाजार से दूरी बना लें इसी में इस खेल का भला है।
हरभजन के क्रोध में असुरक्षा बोल रही है : लोकपल्ली ने कहा कि श्रीसंथ को हरभजनसिंह द्वारा मारा गया चाँटा सिर्फ तात्कालिक क्रोध का परिणाम नहीं, आईपीएल की आयोजन में खिलाड़ी के हरदम श्रेष्ठ प्रदर्शन का दबाव है। दो मैच हार जाना अप्रत्याशित रूप से कप्तानी का बोझ सर पर आ जाना, ये सब किसी भी खिलाड़ी पर अतिरिक्त दबाव डालती है।
अब आप ही देखिए कि विजय माल्या, राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ी के साथ किस भाषा में बात कर रहे हैं। जिस खिलाड़ी ने पिछले छह साल में अधिकतम अवसरों पर भारत को जीत दिलवाई है, उससे घोड़े की रेस में दौड़ रहे घोड़े जैसा सुलूक कर रहे हैं राहुल द्रविड़ की शराफत तो देखिए उन्होंने आज तक कप्तानी के पद से इस्तीफा देने की वजह को सार्वजनिक नहीं किया।