इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के दूसरे संस्करण में अब तक पचास मैच हो चुके हैं लेकिन विभिन्न टीमों के दिग्गज बल्लेबाजों का फ्लॉप शो थमने का नाम नहीं ले रहा है।
टूर्नामेंट अब अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर चुका है और यहाँ से दिल्ली डेयरडेविल्स और चेन्नई सुपर किंग्स को छोड़कर शेष टीमों के लिए 'करो या मरो' का मुकाबला बन गया है। दक्षिण अफ्रीका की जमीन पर हो रहे इस टूर्नामेंट में दुनिया के दिग्गज बल्लेबाजों से जोरदार प्रदर्शन की आस थी लेकिन ये दिग्गज बल्लेबाज अपनी प्रतिष्ठा के साथ न्याय नहीं कर पाए हैं।
बात चाहे दिल्ली डेयरडेविल्स की तूफानी जोड़ी वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर की हो या फिर मुंबई इंडियंस की ड्रीम सलामी जोड़ी सचिन तेंडुलकर और सनत जयसूर्या की हो या फिर भारतीय कप्तान महेंद्रसिंह धोनी हों या फिर दक्षिण अफ्रीका के कप्तान ग्रीम स्मिथ हों, इन सभी ने अपने प्रशंसकों को निराश किया है।
इनके अलावा दक्षिण अफ्रीका के जैक कैलिस, मार्क बाउचर, हर्शल गिब्स, भारत के यूसुफ पठान, राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली, श्रीलंका के महेला जयवर्धने, न्यूजीलैंड के ब्रैंडन मैक्कुलम, ऑस्ट्रेलिया के साइमन कैटिच और इंग्लैंड लौट चुके वहाँ के पूर्व कप्तान केविन पीटरसन इन सभी की बल्लेबाजी आईपीएल टू में निराशा का विषय रहा है।
टूर्नामेंट में दिल्ली डेयरडेविल्स सेमीफाइनल में प्रवेश कर चुकी है और 18 अंकों के साथ शीर्ष पर है लेकिन उनके कप्तान सहवाग अब तक सबसे फिसड्डी सुपरस्टार साबित हुए हैं। सहवाग आठ मैचों में 15.57 के मामूली औसत से 109 रन बना पाए हैं। उनका सर्वाधिक योग नाबाद 38 रन का रहा है। इस पारी को छोड़ दिया जाए तो सहवाग को आश्चर्यजनक रूप से रन बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
गत दो वर्षों से जबरदस्त फार्म में चल रहे गंभीर 12 मैचों में 21.20 की औसत से केवल 212 रन ही बना पाए हैं जबकि टूर्नामेंट के पहले संस्करण में इनका प्रदर्शन बड़ा धमाकेदार रहा था।
चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान धोनी 11 मैचों में 262 रन बनाए हैं और उनका खुद का भी मानना है कि वे अपनी क्षमता के अनुरूप बल्लेबाजी नहीं कर पाए हैं। उनकी टीम भी सेमीफाइनल में अपना प्रवेश लगभग सुनिश्चित कर चुकी है लेकिन धोनी के बल्ले का रौद्र रूप अभी तक दिखाई नहीं दिया। मुंबई इंडियंस के सचिन ने 12 मैचों में 318 रन बनाए हैं लेकिन उनके प्रदर्शन में निरंतरता का अभाव रहा है। यही कारण है कि उन्हें अपने बल्लेबाजी क्रम में ओपनिंग से मध्यक्रम में आने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पिछले साल के हीरो रहे राजस्थान रायल्स के यूसुफ पठान दो-तीन चमकदार पारियों को छोड़कर अपना विकेट गँवाते चले आ रहे हैं। यूसुफ 12 मैचों में 21.27 की औसत से 234 रन ही बना सके हैं। कोलकाता नाइट राइडर्स के सौरव गांगुली ने 11 मैचों में महज 185 रन ही बना पाए हैं। वहीं रायल चैलेंजर्स बेंगलुरु के राहुल द्रविड़ ने नौ मैचों में सिर्फ 174 रन बनाए हैं।
विदेशी बल्लेबाजों में देखा जाए तो रायल चैलेंजर्स के जैक्स कैलिस 11 मैचों में 274 रन, डेक्कन चार्जर्स के हर्शल गिब्स 11 मैचों में 258 रन, इंडियंस के जयसूर्या 11 मैचों में 221 रन, किंग्स इलेवन पंजाब के महेला जयवर्धने दस मैचों में 219 रन, राजस्थान रायल्स के ग्रीम स्मिथ 12 मैचों में 212 रन, नाइट राइडर्स के ब्रैंडन मैक्कुलम 11 मैचों में 195 रन, पंजाब के साइमन कैटिच आठ मैचों में 137 रन और रायल चैलेंजर्स के मार्क बाउचर आठ मैचों में 135 रन ही बना पाए हैं। स्वदेश लौट चुके टूर्नामेंट के संयुक्त रूप से सबसे महँगे खिलाड़ी इंग्लैंड के केविन पीटरसन छह मैचों में मात्र 93 रनों का योगदान ही अपनी टीम के लिए दे पाए।
इस तरह देखा जाए तो आईपीएल टू में इन दिग्गज बल्लेबाजों ने वास्तव में अपनी टीम को निराश किया है। आईपीएल टू अब आखिरी दौर में है और सेमीफाइनल की होड़ में बनी टीमें और सेमीफाइनल में पहुँच चुकी टीमें उम्मीद करेंगी कि उनके ये धुरंधर बल्लेबाज अपना करिश्माई प्रदर्शन दिखाएँ और अपनी प्रतिष्ठा के साथ न्याय करें।