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किस्मत हर बार साथ नहीं देती

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, सोमवार, 18 मई 2009 (11:14 IST)
कपीश दुबे

समापन की ओर बढ़ते आईपीएल के दूसरे संस्करण में हर मुकाबला काँटे का हो रहा है। ऐसे ही नजदीकी मुकाबले में किंग्स इलेवन पंजाब ने डेक्कन चार्जर्स को हराया, वह भी सिर्फ एक रन से। टूर्नामेंट के शुरुआती दौर में डेक्कन चार्जर्स के विजयी रथ को देखकर लग रहा था मानो वे ही सबसे पहले सेमीफाइनल में स्थान पक्का करेंगे, मगर अब स्थितियाँ बदल चुकी हैं। अभी भी टीम का सेमीफाइनल खेलना बिलकुल पक्का नहीं है। यही ट्वेंटी-20 क्रिकेट का रोमांच है। यहाँ मैच का रुख हवा की तरह कब बदल जाए, कहा नहीं जा सकता।

यहाँ किंग्स इलेवन के खिलाड़ी तारीफ के काबिल हैं। उन्हें पता था कि उनकी टीम यदि यहाँ हार जाती तो वह अंतिम चार में पहुँचने की उम्मीद खो देगी। टीम की बल्लेबाजी कुछ खास नहीं रही। केवल कुमार संगकारा के दम पर टीम ने संतोषजनक स्कोर बनाया।

दबाव अब भी किंग्स इलेवन पर था। गिलक्रिस्ट, गिब्स, रोहित, साइमंड्स और टी. सुमन जैसे बल्लेबाजों के सामने कोई भी लक्ष्य छोटा नजर आता है। युवराज ने अपने स्पिनरों का सही इस्तेमाल किया और कहते हैं कि किस्मत भी वीर का साथ देती है। निर्णायक मोड़ पर युवराज ने हैट्रिक ली। फिर जब रोहित का बल्ला तेजी से रन उगल रहा था तो पठान ने उन्हें बोल्ड कर दिया।

इस जीत ने किंग्स इलेवन के लिए संजीवनी का काम किया और वे अंतिम चार की होड़ में बने हुए हैं। मगर किस्मत के भरोसे खिताब नहीं जीते जाते। कप्तान युवराज टीम में बल्लेबाजी के लिए हैं, गेंदबाजी के लिए नहीं। यदि वे हैट्रिक लेते हैं तो यह सिर्फ टीम के लिए बोनस है। उन्हें अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देना होगा।

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