शेन वॉर्न या यूँ कहें अद्भुत, अकल्पनीय, अप्रत्याशित। हौसले बुलंदी के सातवें आसमान पर जज्बा कभी हार नहीं मानने का और कूवत हारी हुई बाजी को पलटकर रख देने की। कप्तानी के कौशल से क्रिकेट पंडितों को अवाक कर देने वाला एक ऐसा योद्धा जिसे यह मौका नहीं देने का मलाल ऑस्ट्रेलिया को जरूर हो रहा होगा।
इंडियन प्रीमियर लीग के पहले सत्र में जब राजस्थान रायल्स ने वॉर्न पर दाव लगाया तो कइयों को आश्चर्य हुआ होगा। अक्सर विवादों से घिरे रहने वाले इस क्रिकेटर की फिरकी का लोहा तो सभी मानते थे लेकिन इसके भीतर छिपे जाँबाज कप्तान से दुनिया को बाबस्ता कराया आईपीएल ने।
मुंबई इंडियंस के खिलाफ कल के मैच में दो रन से जीत अनायास या करिश्मे से नहीं मिली बल्कि एक कप्तान की सकारात्मक सोच की यह बानगी थी। माँसपेशियों में चोट के बावजूद मैदान पर उतरकर वॉर्न ने साबित कर दिया कि वह मोर्चे से अगुवाई करने में यकीन रखते हैं। यही नहीं जीत की राह से सचिन तेंडुलकर के रूप में सबसे बड़े रोड़े को हटाने के लिए उन्होंने खुद गेंद हाथ में ली और कामयाब रहे।
आखिरी गेंद तक हार नहीं मानने की घुट्टी अपने खिलाड़ियों को पिलाने वाले वॉर्न इससे पहले कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ भी अपने जबर्दस्त क्रिकेटिया दिमाग की बानगी पेश कर चुके हैं। इसकी तसदीक मैच दर मैच होती जा रही है।
आईपीएल 2008 के फाइनल में जब टीम को आखिरी ओवर में जीत के लिएआठ रन चाहिये थे तो वॉर्न ने ही चौका जड़कर अनहोनी को होनी कर दिखाया था। महेंद्रसिंह धोनी की टीम को हराकर खिताब जीतने वाले वॉर्न ने हर खिलाड़ी में नया हौसला भरा जो इस सत्र में भी नजर आ रहा है।
यही वजह है कि नाइट राइडर्स के खिलाफ इस सत्र में मैच जब सुपर ओवर तक खिंचा तो 18 बरस के कामरान खान को गेंद सौंपने में भी उन्हें हिचकिचाहट नहीं हुई। किसी भी स्तर पर खेलने का अनुभव नहीं रखने वाले इस गेंदबाज का सामना क्रिस गेल और ब्रेंडन मैक्कुलम से था लेकिन वह कप्तान के भरोसे पर खरा उतरा।
यूसुफ पठान, स्वप्निल असनोदकर, रविंदर जडेजा और अमित सिंह जैसे खिलाड़ियों को स्टार बनाने में इस ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर की बड़ी भूमिका रही है। खुद यूसुफ ने कहा है मेरे करियर में वॉर्न का बड़ा योगदान रहा है और मुझे बेहतर क्रिकेटर बनाने में उनकी महती भूमिका है।
वहीं कामरान ने कहा मेरे जैसे गुमनाम गेंदबाज से आखिरी ओवर फिंकवाकर वॉर्न ने मुझे जो भरोसा दिया उसने मेरे करियर को नई दिशा दी। चोट के कारण टीम से बाहर होने पर भी उन्होंने मुझ पर विश्वास बनाए रखा। वह सचमुच लाजवाब है।
अपने खिलाड़ियों का अटूट भरोसा और सम्मान पाने वाले वॉर्न का आईपीएल के जरिये एक नए रूप में उदय हुआ है। उस वॉर्न को क्रिकेटप्रेमी भूल चुके हैं जो अपनी उल-जुलूल हरकतों के कारण विवादों में रहा करता था। यह वॉर्न जुझारूपन और नेतृत्व क्षमता की एक नई मिसाल बनकर उभरा है।