The Sanju Samson journey, Keralas own cult hero : विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन सिविल सेवा में जाना चाहते थे लेकिन आठ अप्रैल 2008 को कोलकाता नाइट राइडर्स (Kolkata Knight Riders) के ब्रैंडन मैकुलम (Brendon McCullum) की 73 गेंद में 158 रन की पारी देखकर उनके करियर का सपना बदलकर क्रिकेट की दुनिया की ओर मुड़ गया।
दुबले पतले 14 साल के सैमसन ने जब केरल के शहर कोट्टयम में अपने होटल के कमरे में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के पहले मैच में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (Royal Challengers Bengaluru) के खिलाफ मैकुलम की पारी देखी तो उनका दिल बस क्रिकेट में रम गया और सबकुछ हमेशा के लिए बदल गया।
केरल के पूर्व खिलाड़ी रायफी विन्सेंट गोमेज (Raiphi Vincent Gomez) इस विकेटकीपर बल्लेबाज के करीबी मित्र हैं। उन्होंने बताया, संजू हमेशा उस दिन को याद करते हैं, जिसने उन्हें शीर्ष खिलाड़ियों की जमात में पहुंचने का सपना दिखाया था।
पर सिर्फ सपने से ही कोई भी अपने पेशे में शीर्ष पर नहीं पहुंच सकता लेकिन सैमसन क्रिकेट के रास्ते पर चलने के लिए दृढ़ थे।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम के पूर्व क्षेत्ररक्षण कोच बीजू जॉर्ज (Biju George) केरल के इस खिलाड़ी के शुरूआती दिनों के मार्गदर्शक रहे। उन्होंने बताया, बारिश हो या कड़ी धूप संजू और उसका भाई सली तिरूवनंतपुरम में मेडिकल कॉलेज मैदान में नेट पर होते थे। एक दिन यहां बहुत बारिश हो रही थी, मैंने सोचा संजू विजिंगजम में अपने घर से करीब 25 किलोमीटर दूर नेट पर नही आएगस। लेकिन वह समय पर मौजूद था।
उन्होंन कहा, वह अपनी क्रिकेट किट लेकर आया था जिसमें उसकी स्कूल की ड्रेस भी थी ताकि वह ट्रेनिंग के बाद स्कूल जा सके। उस उम्र में भी वह इतना अडिग था।
यह अनुशासन शायद उसे अपने परिवार से मिला जिसमें उसके पिता विश्वनाथ दिल्ली पुलिस में फुटबॉल खिलाड़ी थे जिन्होंने अपने बेटे की इच्छा का पूरा समर्थन किया।
वह दिल्ली पुलिस टीम के साथसंजू और उसके भाई के लिए नेट की व्यवस्था करते और वे अकसर उनसे अधिक उम्र के क्रिकेटरों के साथ खेलते।
गोमेज ने कहा, संजू के लिए उसके पिता प्रेरणास्रोत थे। वह हमेशा संजू के मैच देखने के लिए आते थे। (भाषा)