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ईशांत के हाथ लगा कारू का खजाना

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भारतीय क्रिकेट की नई खोज ईशांत शर्मा के अंतरराष्ट्रीय करियर की इब्तिदा जुमा जुमा चार दिन भी नहीं हुए। अनुभव के नाम पर महत पाँच टेस्ट और सात वनडे, लेकिन आईपीएल की नीलामी से उनके हाथ कारू का ऐसा खजाना लगा कि अनिल कुंबले जैसे कई दिग्गजों को पछाड़कर वह मीलों आगे निकल आए।

चमत्कार को नमस्कार करने वाले क्रिकेट के बाजार में खिलाड़ियों की बोली उसके हुनर या लंबी रेस में दौड़ने के माद्दे को देखकर नहीं लगी। क्रिकेटरों पर खजाना खोलने वाले धनकुबेरों को लुभाया है खिलाड़ियों की ब्रांड कीमत और युवाओं में उनकी लोकप्रियता ने।

दिल्ली के तंग रणजीत नगर इलाके में रहने वाले ईशांत को साढे नौ लाख डॉलर (3 करोड़ 80 लाख रुपए) में खरीदा गया। यह भारतीय टेस्ट कप्तान कुंबले, टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट ले चुके मुथैया मुरलीधरन, ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज ब्रेट ली, शेन वॉर्न और ग्लेन मैग्राथ को मिली रकम से कहीं ज्यादा है।

19 बरस के ईशांत के नाम अभी सिर्फ 12 टेस्ट और सात वनडे विकेट हैं। भारत के सबसे कामयाब गेंदबाज कुंबले जितने साल भारतीय क्रिकेट को दे चुके हैं ईशांत की उतनी उम्र भी नहीं है।

जहीर खान के चोटिल होने के कारण टीम में जगह पाने वाले ईशांत को पर्थ टेस्ट में कुंबले ने पूछा एक और ओवर करेंगे? वह पहले ही एक दो ओवर ज्यादा फेंक चुके थे, लेकिन कप्तान के भरोसे ने उसका हौसला बढ़ाया। रिकी पोंटिंग समेत बड़े बल्लेबाज उनके शिकार होते चले गए।

जवागल श्रीनाथ को यह स्वीकार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं होती कि उम्र के इस मोड़ पर ईशांत उनसे बेहतर गेंदबाज हैं। उनकी भविष्यवाणी है कि आने वाले समय में वह दुनिया के नंबर एक गेंदबाज होंगे। स्टीव वॉ, टैरी एल्डरमैन और कपिल देव जैसे धुरंधरों से मिली तारीफों ने ईशांत को मिलने वाले डॉलरों की संख्या भी बढाई।

कोलकाता टीम में शामिल पाकिस्तानी तेज गेंदबाज शोएब अख्तर की सलाह है कि भारत ईशांत का इस्तेमाल चतुराई से करे। उन्हें ईशांत की फिटनेस की भी चिंता है जो बेपरवाह होकर नेट पर या मैच के दौरान तूफानी गेंदबाजी कर रहे हैं।

ईशांत ने मौजूदा त्रिकोणीय श्रृंखला में अभी तक 34 ओवर फेंके हैं। एक महीना पहले ही तीन टेस्ट में वह 101 ओवर फेंक चुके हैं। गेंदबाजों के रोटेशन की तमाम बातों के बावजूद ईशांत से लगातार गेंदबाजी कराई जा रही है।

एयर कंडीशनर बेचने वाले एक व्यापारी का लड़का ईशांत क्रिकेट की चकाचौंध भरी दुनिया में कदम रखने का ख्वाब देखने वाले आम युवाओं के लिये प्रेरणासोत बन गया है। उनके परिवार में क्रिकेट से किसी का सरोकार नहीं है और उन्होंने भी शौकिया तौर पर ही खेलना शुरू किया था।

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