भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनना युवराजसिंह के लिए भले ही सपना रहा हो, लेकिन उनके और महेंद्रसिंह धोनी के बीच कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं है। इससे जुड़ी अफवाहें बेबुनियाद हैं।
'बीबीसी' के 'एक मुलाकात' कार्यक्रम में युवी ने कहा कि प्रतिद्वंद्विता और मतभेद जैसी खबरें मीडिया ने फैलाई हैं। धोनी और वे अच्छे दोस्त हैं। एक-दूसरे की समय-समय पर मदद करते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि खेल कैसे खेलना हैं। उन्होंने माना टीम की कप्तानी करना उनकी ख्वाहिश है, लेकिन खिलाड़ियों के हित में वे कभी भी निजी आकांक्षाओं को आड़े नहीं आने देंगे।
धोनी को अप्रत्याशित तौर कप्तानी सौंपी जाने से पहले युवराज इस दौड़ में सबसे आगे थे। उन्होंने कहा धोनी को टीम का समर्थन हासिल है और टीम में किसी तरह का मतभेद नहीं है।
धोनी मेरे करियर के मुकाबले 3-4 साल बाद आए हैं। युवा होने के नाते उन्हें टीम का सहयोग चाहिए। वे काफी शांतचित्त हैं, जो कप्तानी के लिए बहुत जरूरी है।
इंडियन प्रीमियर लीग में सबसे सफल फ्रेंचाइजी टीमों में शामिल किंग्स इलेवन पंजाब की अगुआई कर रहे युवराज ने कहा कि यह काफी दबाव वाला काम है, क्योंकि जो टीमें उम्मीदों पर खरा नहीं उतरतीं, उन पर मालिकों की भड़ास निकलती हैं। बतौर फ्रेंचाइजी मालिक को क्रिकेट जैसे खेल को समझना चाहिए। जिसने क्रिकेट नहीं खेला, वह इस खेल को नहीं समझ सकता।
आईपीएल के लिए यात्राओं के बारे में युवराज ने कहा निश्चित तौर पर खिलाड़ियों को काफी मेहनत के साथ खुद को फिट रखना पड़ता है। ये यात्राएँ इतनी बढ़ गई हैं कि प्रत्येक खिलाड़ी और जवाबदेह हो गया है।
मैदान पर आक्रामकता जताने के बढ़ते चलन पर युवराज ने कहा कि किसी खिलाड़ी को यह बताने की जरूरत नहीं है कि सीमा रेखा कहाँ खींचना है, क्योंकि आक्रामकता को नियंत्रण में रखना जरूरी है। मेरा मानना है कि जीवन में हर चीज में संतुलन होना चाहिए, जो खिलाड़ी में स्वतः स्फूर्त होता है।