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क्रिकेट से सबक लें दूसरे खेल-भूटिया

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नई दिल्ली (भाषा) , रविवार, 24 फ़रवरी 2008 (16:46 IST)
आईपीएल के जरिए क्रिकेटरों पर हुई धनवर्षा भले ही कइयों के लिए ईर्ष्या का कारण बनी हो, लेकिन भारत के सबसे नामचीन फुटबॉलर बाईचुंग भूटिया का मानना है कि दूसरे खेलों को इससे सबक लेकर अपने लिए भी प्रयास करने चाहिए।

भूटिया ने कहा कि इंडियन प्रीमियर लीग के लिए क्रिकेटरों की जिस तरह से बोली लगाई गई उससे यह साबित हो गया है कि अब खेलों को बाजार से अलग नहीं रखा जा सकता।

उन्होंने कहा कि दूसरे खेलों से जुड़े लोगों को इसकी आलोचना करने की बजाय इससे सीख लेना चाहिए। मुझे इसे लेकर क्रिकेट से कोई शिकायत नहीं है और ना ही मेरा ऐसा मानना है कि इससे दूसरे खेलों पर बुरा असर पड़ेगा।

मोहन बागान के स्टार स्ट्राइरकर भूटिया किसी यूरोपीय क्लब के साथ पेशेवर अनुबंध करने वाले उपमहाद्वीप के पहले फुटबॉलर भी हैं। उन्होंने 1999 में इंग्लैंड के सेकंड डिवीजन क्लब बरी के साथ करार किया था।

उनका मानना है कि भारत में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन उन पर अच्छे क्लबों पर नजर पड़ना जरूरी है। इसके लिए भारतीय खिलाड़ियों को विदेश में अधिक से अधिक खेलने के मौके और विदेशी क्लबों को भारत आमंत्रित करना जरूरी है।

क्रिकेट की तरह घरेलू टूर्नामेंटों की व्यवस्था और मैचों के प्रसारण के बंदोबस्त भी लाजमी है। फुटबॉल को कुछ अर्सा पहले ही जी स्पोर्ट्स के रूप में प्रायोजक मिला है, जिसके साथ करीब 270 करोड़ रुपए का दस साल का करार किया गया है।

भारत में क्रिकेट और फुटबॉल के बाजार का अंतर इसी से पता चल जाता है कि राष्ट्रीय फुटबॉल लीग के सह प्रायोजक के तौर पर ओएनजीसी ने सात करोड़ रुपए का करार किया। वहीं भारतीय वनडे क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्रसिंह धोनी आईपीएल की नीलामी में अकेले ही छह करोड़ रुपए में बिके।

यह पूछने पर कि क्या अब राष्ट्र के लिए खेलने से बढ़कर बाजारी ताकतें खेल पर हावी हो चली हैं भूटिया ने कहा ऐसा ही है। खेल की बेहतरी के लिए कार्पोरेट जगत को शामिल करना समय की माँग है।

आईपीएल की तर्ज पर भारतीय फुटबॉल में नई पहल की संभावना पर उन्होंने कहा कि दुनिया भर में क्लब फुटबॉल खेला जाता है। बैकहम, जिदान और रोनाल्डो जैसे फुटबॉलर करोड़ों डालर में बिकते रहे हैं। इस मायने में फुटबॉल काफी आगे है।

भारतीय फुटबॉल के परिप्रेक्ष्य में पूछने पर उन्होंने कहा कि यहाँ भी प्रयास होने चाहिए लेकिन कैसे होंगे, कब होंगे और कौन करेगा यह मैं नहीं जानता।

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