Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(मास शिवरात्रि)
  • तिथि- श्रावण कृष्ण त्रयोदशी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-भद्रा/मास शिवरात्रि/सर्वार्थसिद्धि योग
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

अज़ान क्या है? क्या है अज़ान का इतिहास

हमें फॉलो करें अज़ान क्या है? क्या है अज़ान का इतिहास
अज़ान लाउड स्पीकर पर होनी चाहिए या नहीं, इसको लेकर इन दिनों चर्चा गर्म है। इस मुद्दे से एक बात की तरफ ध्यान जाता है कि आखि़र अज़ान है क्या? और अज़ान हमसे क्या कहती है? पूरी अज़ान का अर्थ क्या है? और क्या है इसका इतिहास। 
 
अज़ान का इतिहास : मदीना में जब सामूहिक नमाज़ पढ़ने के मस्जिद बनाई गई तो इस बात की जरूरत महसूस हुई कि लोगों को नमाज़ के लिए किस तरह बुलाया जाए, उन्हें कैसे सूचित किया जाए कि नमाज़ का समय हो गया है। मोहम्मद साहब ने जब इस बारे में अपने साथियों सहाबा से राय मश्वरा किया तो सभी ने अलग अलग राय दी। किसी ने कहा कि प्रार्थना के समय कोई झंडा बुलंद किया जाए। किसी ने राय दी कि किसी उच्च स्थान पर आग जला दी जाए। बिगुल बजाने और घंटियाँ बजाने का भी प्रस्ताव दिया गया, लेकिन मोहम्मद साहब को ये सभी तरीके पसंद नहीं आए। 
 
रवायत है कि उसी रात एक अंसारी सहाबी हज़रत अब्दुल्लाह बिन ज़ैद ने सपने में देखा कि किसी ने उन्हें अज़ान और इक़ामत के शब्द सिखाए हैं। उन्होंने सुबह सवेरे पैगंबर साहब की सेवा में हाज़िर होकर अपना सपना बताया तो उन्होंने इसे पसंद किया और उस सपने को अल्लाह की ओर से सच्चा सपना बताया।
 
पैगंबर साहब ने हज़रत अब्दुल्लाह बिन ज़ैद से कहा कि तुम हज़रत बिलाल को अज़ान इन शब्‍दों में पढ़ने की हिदायत कर दो, उनकी आवाज़ बुलंद है इसलिए वह हर नमाज़ के लिए इसी तरह अज़ान दिया करेंगे। इस तरह हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हु इस्लाम की पहली अज़ान कही। 
 
अज़ान के प्रत्येक बोल के बहुत गहरे मायने हैं। मुअज्जिन (जो अज़ान कहते हैं) अज़ान की शुरुआत करते हुए कहते हैं कि अल्लाहु अकबर। याने ईश्वर महान हैं। अज़ान के आखिर में भी अल्लाहू अकबर कहा जाता है और फिर ला इलाहा इल्लाह के बोल के साथ अज़ान पूरी होती है। याने ईश्वर के सिवाए कोई माबूद नहीं। 
 
अज़ान की शुरुआत और उसका मुकम्मल अल्लाह की महानता के साथ होता है, जबकि इसके बीच के बोल अज़ान की अहमियत पर रौशनी डालते हैं। आइए पूरी अज़ान के अर्थ पर एक नज़र डालते हैं। 
 
अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
 
ईश्वर सब से महान है। 
 
अश-हदू अल्ला-इलाहा इल्लल्लाह
अश-हदू अल्ला-इलाहा इल्लल्लाह
 
मैं गवाही देता हूं कि ईश्वर के अतिरिक्त कोई दूसरा इबादत के योग्य नहीं। 
 
अश-हदू अन्ना मुहम्मदर रसूलुल्लाह
अश-हदू अन्ना मुहम्मदर रसूलुल्लाह
 
मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद सल्ल. 
ईश्वर के अन्तिम संदेष्टा हैं। 
 
ह्या 'अलास्सलाह, ह्या 'अलास्सलाह
 
आओ नमाज़ की तरफ़। 
 
हया 'अलल फलाह, हया 'अलल फलाह
 
आओ कामयाबी की तरफ़। 
 
अस्‍सलातु खैरूं मिनन नउम
अस्‍सलातु खैरूं मिनन नउम
(ये बोल केवल सुबह (फज़र) की अज़ान में कहे जाते हैं)  
 
नमाज़ सोए रहने से उत्तम है। 
 
अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
 
ईश्वर सब से महान है। 
 
ला-इलाहा इल्लल्लाह
 
अल्लाह के सिवाए कोई माबूद नहीं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पंचक में क्यों निषेध हैं ये 5 कार्य, जानिए...