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(कालभैरव अष्टमी)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-श्री कालभैरव अष्टमी/ सत्य सांईं जन्म.
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
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Eid milad un nabi कब है? क्या करें तैयारी, क्यों है महत्व?

हमें फॉलो करें Eid milad un nabi कब है? क्या करें तैयारी, क्यों है महत्व?
eid milad un nabi 
 
Significance and History : वर्ष 2022 में Eid milad un nabi, रविवार 9 अक्टूबर 2022 को मनाई जा रही है। रबीउल अव्वल महीने की 12 तारीख को मिलादुन्नबी (Eid milad un nabi 2022) के दिन इस्लाम के संस्थापक पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्मदिन मनाया जाता है। 
 
उनका जन्म मक्का (सऊदी अरब) में हुआ था। उनके वालिद साहब का नाम अबदुल्ला बिन अब्दुल मुतलिब तथा वालेदा का नाम आमेना था। अल्लाह ने हजरत मोहम्मद साहब को एक अवतार के रूप में पृथ्वी पर भेजा था, क्योंकि उस दिनों अरब के लोगों के हालात बहुत खराब हो गए थे।

लोगों में शराबखोरी, जुआखोरी, लूटमार, वेश्यावृत्ति और पिछड़ापन भयंकर रूप से फैला हुआ था। कई लोग नास्तिक थे। ऐसे माहौल में मोहम्मद साहब ने जन्म लेकर लोगों को ईश्वर का संदेश दिया।
 
मोहम्मद साहब के पिता का स्वर्गवास उनके जन्म के दो माह बाद हो गया था, तब उनका लालन-पालन उनके चाचा अबू तालिब ने किया। हजरत मोहम्मद बचपन से ही अल्लाह की इबादत में लीन रहते थे। वे कई-कई दिनों तक मक्का की एक पहाड़ी पर इबादत किया करते थे।

40 वर्ष की अवस्था में उन्हें अल्लाह की ओर से संदेश प्राप्त हुआ और अल्लाह ने फरमाया कि- 'ये सब संसार सूर्य, चांद, सितारे मैंने पैदा किए हैं। मुझे हमेशा याद करो। मैं केवल एक हूं। मेरा कोई मानी-सानी नहीं है। लोगों को समझाओ।' 
 
हजरत मोहम्मद साहब ने ऐसा करने का अल्लाह को वचन दिया। तभी से उन्हें नुबुवत प्राप्त हुई। हजरत मोहम्मद साहब ने खुदा के हुक्म से जिस धर्म को चलाया, वह इस्लाम कहलाता है। जिसका शाब्दिक अर्थ 'खुदा के हुक्म पर झुकना' है। लोगों को इस्लाम धर्म समझाने में हजरत मोहम्मद साहब को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा तथा दुश्मनों के जुल्मो-सितम को सहन करना पड़ा। 
 
अरब में उन दिनों महिलाओं की बड़ी दुर्दशा थी तथा लोग उन्हें खरीदते-बेचते और भोग-विलास का साधन मानकर उन्हें प्रताड़ित किया जाता था, तब हजरत मोहम्मद ने लोगों को महिलाओं की कद्र करना सिखाया और उन्हें समानता का दर्जा देने को कहा। इसी तरह दीन-दुखियों के सच्चे सेवक रहे हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर ‪ईद-ए-मिलादुन्नबी मनाई जाती है। इसे ईद-ए-मिलाद, बारावफात (Barawafat) आदि नाम से भी जाना जाता है।
 
तैयारी : 
 
- ईद मिलाद उन-नबी के दिन घर, मस्जिद को सजाते हैं। 
 
- मस्जिद, दरगाह तथा घरों में पूरे अकीदत के साथ पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्मदिन मनाते हैं। 
 
- कुरान पढ़ा जाता है। 
 
- हजरत मोहम्मद साहब ने मानवता को मानने वाला संदेश दिया था, अत: इस दिन गरीबों में दान और जकात करना चाहिए, इससे अल्लाह खुश होते हैं। 
 
- पैगंबर मोहम्मद साहब के संदेशों को पढ़ा तथा अपने जीवन में उतारा जाता है। 
 
- इस दिन पैगंबर मोहम्मद साहब के सम्मान में और जन्मदिन के रूप में जुलूस निकालते हैं। 
 
- लंगर का आयोजन होता है तथा जरूरतमंदों को उपहार दिया जाता हैं। 
 
- ईद मिलाद उन-नबी के दिन जगह-जगह बड़े आयोजन किए जाते हैं। 
 
- इस दिन रात भर अल्लाह की इबादत की जाती है। 

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Eid al-Adha 2021
 

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