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एटीएम : बदलते नियमों का रखें ध्यान

बैंकिंग नियामक द्वारा हुए कई बदलाव

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- आशुतोष वर्मा

पिछले कुछ सालों में बैंकिंग लेन-देन में काफी बदलाव आया है, खासकर नई टेक्नोलॉजी के प्रणाली में शामिल होने के बाद तो काफी कुछ बदल गया। ऑनलाइन भुगतान करना, शॉपिंग करते हुए प्लास्टिक कार्ड का इस्तेमाल करना या एटीएम (ऑटोमेटिड टेलर मशीन) से पैसे निकालना, यह सभी रोजमर्रा के लेन-देन हैं जो कि यदि फूलप्रूफ नहीं हैं, लेकिन काफी सुरक्षित और ग्राहकों के अनुकूल हैं।

इसका सारा श्रेय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को जाता है जिसने नियमन (रेगुलेशन) को मजबूत करते हुए इस प्रकार के लेन-देन को सुरक्षित करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया। साथ ही रिजर्व द्वारा उठाए कदमों से बैंकों को अतिरिक्त शाखाएं खोलने की जगह उन्हें इस प्रकार के वैकल्पिक प्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया है।

बैंक भी यह चाहते हैं कि एटीएम का इस्तेमाल केवल नकद निकासी के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य चीजों के लिए भी हो। भारी संख्या में नियामकीय हस्तक्षेप का मकसद इस नई भुगतान प्रणाली को बढ़ावा देना ही है। गौरतलब है कि एटीएम के नियमों और इस्तेमाल में आए बदलाव से इसका प्रयोग काफी बढ़ गया है। कुछ बैंकों का एटीएम इस्तेमाल नियमन में बदलाव आने से चार गुना से ज्यादा बढ़ गया है।

कोटक महिंद्रा बैंक के एक अधिकारी ने बताया कि एटीएम का इस्तेमाल काफी ज्यादा हो गया है। अप्रैल 2009 से अब तक कुल लेन-देन में 109 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है। ग्राहकों को बैंकिंग लेन-देन के लिए बैंक शाखा की अपेक्षा एटीएम का इस्तेमाल करना ज्यादा पसंद आ रहा है। इस अनुकूल वातावरण में हालांकि, आपको सभी प्रकार के नियमों से भली-भांति परिचित होना जरूरी है, खास उन नियमों से जिसे हाल ही में एटीएम लेन-देन के लिए लागू किया गया है।

मुफ्त लेन-देन सीमित :
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पहला, सबसे महत्वपूर्ण और हाल ही में बैंकिंग नियामक द्वारा किया गया बदलाव है, सीमित मुफ्त लेने-देन। इससे उन एटीएम कार्ड धारकों को खुशी नहीं मिलेगी जो सामान्य रूप से कई बार विभिन्न बैंक एटीएम का इस्तेमाल गैर-वित्तीय लेन-देन के लिए भी करते थे। यह थर्ड-पार्टी (तीसरे-पक्ष) एटीएम लेने-देन के लिए चिंता का कारण है। गौरतलब है कि अक्टूबर 2009 से लेकर 30 जून तक कार्डधारक तीसरे पक्ष के एटीएम से प्रत्येक माह पांच बार बिना अतिरिक्त शुल्क दिए यानी मुफ्त लेन-देन कर सकते थे।

हालांकि, गैर-वित्तीय लेन-देन जैसे खाते की जानकारी और मिनी स्टेटमेंट आदि का असीमित बिना अतिरिक्त शुल्क दिए इस्तेमाल किया जा सकता था। लेकिन, 1 जुलाई से गैर-वित्तीय परिचालनों के लिए सीमित मुफ्त लेन-देन के नियम को लागू कर दिया गया।

कोई भी उपभोक्ता यदि पांच मुफ्त लेन-देन के बाद तीसरे पक्ष के एटीएम मशीन का इस्तेमाल करता है तो उससे अतिरिक्त शुल्क वसूला जाएगा। उदाहरण के लिए, एचडीएफसी बैंक के एटीएम पर अन्य बैंक के कार्ड द्वारा पांच से बार से ज्यादा इस्तेमाल किया तो नकद निकासी पर 20 रुपए का अतिरिक्त शुल्क और गैर-वित्तीय परिचालन (खाते की जानकारी और मिनी स्टेटमेंट) पर 8.50 रुपए का अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है। वहीं, इंडस्इंड बैंक 10,000 रुपए या उससे ज्यादा के औसत बैंलेस को कायम रखने वाले बचत खाता धारकों के लिए सभी तीसरे पक्ष के एटीएम लेन-देन पर कोई शुल्क नहीं लेता।

वहीं, अन्य के लिए 20 रुपए की राशि नकद निकासी पर और 10 रुपए का शुल्क गैर-वित्तीय परिचालनों पर लिया जाता है। लेकिन, कुछ चुनिंदा प्रकार के खातों (प्रीमियम) पर शुल्क पर छूट दे दी जाती है। यह सुविधा सभी बैंकों पर उपलब्ध नहीं है। सभी बैंकों द्वारा अलग-अलग शुल्क लिए जाते हैं और शुल्क की दर बैंकों द्वारा ही निर्धारित की जाती है।

लेन-देन की तत्काल सूचना : एक जुलाई से प्रभावी हुआ एक और उपभोक्ता अनुकूल मापदंड जिससे कार्ड के खोने या चोरी होने पर अनुचित उपयोग से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। अब बैंकों को ऑनलाइन खरीद-फ्रोख्त करने या एटीएम का इस्तेमाल करने पर अपने ग्राहकों को तत्काल एसएमएस के जरिए सुचित करने का निर्देश दिया गया है।

इससे पहले, बैंक केवल चुनिंदा सीमा से अधिक मूल्य के लेन-देन, खासकर 5,000 रुपए मूल्य के लेन-देन पर ही एसएमएस अलर्ट के जरिए ग्राहकों को सुचित करता था। अब इस सुविधा का दायरा बढ़ाकर सभी प्रकार लेन-देन तक कर दिया गया है। इससे आपकी जानकारी के बिना हुए लेन-देन के मामले में तत्काल सुधारात्मक उपाय करने की स्थिति में पहुंच जाएंगे।

मुआवजा ढांचा भी बदला : रिजर्व बैंक की नजर में ऐसे कई मामले आए जहां कार्ड धारक के खाते से राशि की निकासी तो हो गई पर एटीएम से पैसे बाहर नहीं निकले। ऐसे में, यह भी बहुत कम देखा गया है कि बैंक गलत डेबिट सुधार पर अपने हाथ खींचे। इसीलिए, आरबीआई ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि वह इस प्रकार के मामलों का निपटारा शिकायत करने के सात कार्य दिवस के भीतर ही करें।

यदि बैंक ऐसा करने में विफल होता है तो उसे सात दिन के बाद प्रत्येक दिन के लिए 100 रुपए का मुआवजा ग्राहक को देना पड़ेगा। 1 जुलाई से पहले एटीएम परेशानी के तहत बैंक गलत डेबिट मामले को सुधारने के लिए 12 दिन का समय लेते थे। हालांकि, यह भी ध्यान देने वाली बात है कि मुआवजे के लिए भी वही ग्राहक योग्य होता था जो लेन-देन विफल होने के 30 दिनों के भीतर शिकायत दर्ज कराता था।

सभी एटीएम लेन-देन के लिए पिन का इस्तेमाल : एक जनवरी से आरबीआई ने ग्राहकों के लिए एटीएम पर प्रत्येक लेन-देन के लिए पिन संख्या डालना अनिवार्य कर दिया है। इससे पहले, आप एक बार पिन संख्या डालने के बाद जितनी चाहे उतनी बार लेन-देन कर सकते थे। यदि आप अपने एटीएम कार्ड को मशीन में ही भूल जाते हैं तो कोई अन्य व्यक्ति आपके कार्ड से नकद की निकासी या अन्य कोई लेन-देन नहीं कर पाएगा, क्योंकि उसके लिए दोबारा पिन संख्या डालना पड़ेगा।

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