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नैनो टेक्नोलॉजी : भविष्य के छोटे उस्ताद

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हमें फॉलो करें नैनो टेक्नोलॉजी भविष्य प्रयोगशालाएँ विज्ञान
नेहा कवठेक

रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई, का करै तरवारि।।

PRPR
छोटे की महत्ता के बारे में रहीम ने कितना सही कहा था। आज सदियों बाद यही बात फिर सही साबित हो रही है। अब वह ज़माना नहीं रहा जब वैज्ञानिक अनुसंधान का मतलब होता था बड़े-बड़े उपकरण, बड़े-बड़े प्रयोग, बड़ी-बड़ी प्रयोगशालाएँ और उन प्रयोगों में आने वाली बड़ी-बड़ी परेशानियाँ। जैसे-जैसे विज्ञान आगे बढ़ता गया, उपकरणों और तकनीकों का विकास होता गया, सुविधाएँ और साधन जुटते गए, ये सब बातें बहुत छोटी होती चली गईं। अब तो लैब-ऑन-अ-चिप (एक चिप पर समा सकने वाली प्रयोगशाला) का युग आ गया है। किसी महान व्यक्ति ने कहा भी था कि "विज्ञान की अगली सबसे बड़ी खोज एक बहुत छोटी वस्तु होगी।"

क्या आप कल्पना कर सकते हैं शकर के दाने के बराबर किसी ऐसे कम्प्यूटर की, जिसमें विश्व के सबसे बड़े पुस्तकालय की समस्त पुस्तकों की समग्र जानकारी संग्रहीत हो या किसी ऐसी मशीन की जो हमारी कोशिकाओं में घुसकर रोगकारक कीटाणुओं पर नज़र रख सके या फिर छोटे-छोटे कार्बन परमाणुओं से बनाए गए किसी ऐसे टेनिस रैकेट की जो साधारण रैकेट से कहीं अधिक हल्का और स्टील से कई गुना ज्यादा मजबूत हो। कपड़ों पर लगाए जा सकने वाले किसी ऐसे बायोसेंसर की कल्पना करके देखिए जो जैव-युद्ध के जानलेवा हथियार एंथ्रॉक्स (एक जीवाणु) के आक्रमण का पता महज कुछ मिनटों में लगा लेगा। परी-कथाओं जैसा लगता है न ये सब? पर ये कोरी कल्पनाएँ नहीं हैं। विज्ञान ने इन कल्पनाओं में वास्तविकता के रंग भर दिए हैं। कैसे??? जवाब है- नैनोटेक्नोलॉजी के ज़रिए।

नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिकशास्त्री रिचर्ड पी. फिनमेन ने अपने एक व्याख्यान में कहा था- "There is a plenty of room at the bottom” और यही वाक्य आगे चलकर नैनोटेक्नोलॉजी का आधारस्तम्भ बना। रिचर्ड ने अपनी कल्पना में आने वाले कल का सपना देखा था। लेकिन तब उनके पास न तो इतने आधुनिक और सक्षम उपकण थे और न ही इतनी उन्नत सुविधाएँ। उनके लिए अणु-परमाणुओं से खेलना उतना आसान नहीं था, जितना आज हमारे लिए है।
  नैनो एक ग्रीक शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- Dwarf अर्थात बौना। मीटर के पैमाने पर नैनो को देखा जाए तो यह एक मीटर का अरबवाँ भाग होता है...      


नैनो शब्द शायद आप लोगों के लिए नया नहीं होगा (टाटा मोटर्स ने मेरा काम आसान कर दिया है)। नैनो एक ग्रीक शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- Dwarf अर्थात बौना। मीटर के पैमाने पर नैनो को देखा जाए तो यह एक मीटर का अरबवाँ भाग होता है (1 नैनो मीटर = 10-9 मीटर)। अगर एक साधारण उदाहरण से समझें तो मनुष्य के एक बाल की चौड़ाई 80,000 नैनो मीटर होती है। ...अब आप सोच सकते हैं कि 1 नैनो मीटर कितना छोटा होता होगा?

आइए, अब थोड़े सरल शब्दों में नैनोटेक्नोलॉजी को समझते हैं। किसी भी निर्माण प्रक्रिया का पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण है उसके परमाणुओं का उचित विन्यास और व्यवस्था। अणु और परमाणुओं को तो आप जानते ही होंगे? किसी पदार्थ के गुण इन्हीं अणुओं और परमाणुओं की व्यवस्था पर निर्भर होते हैं। व्यवस्था जितनी भिन्न, पदार्थ उतना अलग। हमारी सृष्टि अणु और परमाणुओं का संयोग ही तो है। कोयले के कार्बन परमाणुओं को ज़रा पुनर्व्यवस्थित करके तो देखिए... चमचमाता हुआ बहुमूल्य हीरा आपके सामने होगा। रेत के ढेर में सिलिकॉन चिप का अक्स देखने की कोशिश की है कभी? बरगद के वृक्ष, सड़क किनारे खड़े चौपाए और स्वयं में तुलना करके देखिए... एक ही तरह के तत्वों का पिटारा हैं ये तीनों, अंतर है तो बस उनके अणु और परमाणुओं के संयोजन में।

परमाण्विक स्तर (नैनो स्केल) पर किसी पदार्थ के परमाणुओं में जोड़-तोड़ करना, उन्हें पुनर्व्यवस्थित करना और मनचाही वस्तु बनाना... यही है नैनोटेक्नोलॉजी। नैनोटेक्नोलॉजी में काम आने वाले पदार्थों को नैनोमटैरियल्स कहा जाता है। ये पदार्थ जितने छोटे हैं, उतने ही अधिक सक्रिय और शक्तिशाली भी। इसका मुख्य कारण है इनका विशाल सतह क्षेत्र। नैनो स्तर पर परमाणुओं का प्रकाशिक (ऑप्टिकल), वैद्युत (इलेक्ट्रिकल) और चुम्बकीय (मैग्नेटिक) स्वभाव भी काफी अलग होता है। इन्हीं विशेषताओं के कारण किसी नई और शक्तिशाली तकनीक की खोज के लिए वैज्ञानिकों का ध्यान परमाणुओं की ओर आकर्षित हुआ। वैसे देखा जाए तो नैनोटेक्नोलॉजी नई विधा नहीं है। बहुलक (पॉलीमर) तथा कम्प्यूटर चिप्स के निर्माण में इसका उपयोग वर्षों से हो रहा है।

नैनो टेक्नोलॉजी ने इन नन्हे अणु और परमाणुओं के साथ हमारे रिश्तों में बदलाव ला दिया है। कम कीमत और कम मेहनत में उच्च गुणवत्ता इस तकनीक से ही सम्भव है। सूचना प्रौद्योगिकी और कम्प्यूटर, भवन-निर्माण सामग्री, वस्त्र उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स और दूर-संचार, घरेलू उपकरण, काग़ज़ और पैकिंग उद्योग, आहार, वैज्ञानिक उपकरण, चिकित्सा और स्वास्थ्य, खेल जगत, ऑटोमोबाइल्स, अंतरिक्ष विज्ञान, कॉस्मेटिक्स तथा अनुसन्धान और विकास जैसे अनेक क्षेत्र हैं जहाँ नैनोटेक्नोलॉजी ने धूम मचा दी है। इसने हमें दीर्घकालिक, साफ-स्वच्छ, सुरक्षित, सस्ते और इको-फ्रेंडली उत्पाद उपलब्ध करवाए हैं। नैनोमटैरियल, नैनोबॉट्स, नैनोपावडर, नैनोट्यूब्स, नैनोअसेम्ब्लर्स, नैनोरेप्लिकेटर्स, नैनोमशीन और नैनोफैक्टरी ये तो बस कुछ नाम ही हैं जिन्होंने मानव की अखंड ऊर्जा और असीम क्षमता को एक बिन्दु पर लाकर एकत्रित कर दिया है। जब ऊर्जा और क्षमता का अपव्यय गौण हो जाए और ध्यान केवल लक्ष्य पर हो, तो परिणाम हमेशा ही अद्भुत होते हैं।

आइए अब नैनोटेक्नोलॉजी के कुछ हैरतअंगेज़ अनुप्रयोगों के बारे में भी बात कर लेते हैं। नैनोविज्ञान के उपयोग और अनुप्रयोगों को सूचीबद्ध करना थोड़ा मुश्किल काम है क्योंकि दुनिया का शायद ही कोई क्षेत्र इससे अछूता रहा हो। बायो-मेडिकल अनुसंधान में तो नैनोमेडिसीन ने जैसे करिश्मा कर दिखाया है और इस करिश्मे के पीछे हैं छोटे-छोटे नैनोपार्टिकल्स। इन पार्टिकल्स का आकार कोशिका की अंदरूनी संरचनाओं यहाँ तक कि जैव-अणुओं से भी छोटा होता है। कोशिकाओं में ये पार्टिकल्स बड़े आराम से, बेरोक-टोक घूम-फिर सकते हैं। यही कारण है कि इनका उपयोग नैदानिक और विश्लेषणात्मक उपकरणों, इन-विट्रो (प्रयोगशाला में) और इन-वाइवो (जीवित कोशिका में) अनुसन्धानों, भौतिक व जैविक उपचारों, ऊतक अभियांत्रिकी, ड्रग-डिलीवरी और नैनोसर्जरी में बड़े पैमाने पर किया जाता है। नैनोपोरस पदार्थ दवाई के छोटे-छोटे अणुओं को सीधे बीमार कोशिकाओं तक पहुँचाते हैं। नतीजतन दवाइयों के खर्च और साइड इफ़ेक्ट से राहत मिलती है, रोगी जल्द ही भला-चंगा हो जाता है और अन्य स्वस्थ कोशिकाएँ दवाइयों से अप्रभावित रहती हैं।
  नैनोपोरस पदार्थ दवाई के छोटे-छोटे अणुओं को सीधे बीमार कोशिकाओं तक पहुँचाते हैं। नतीजतन दवाइयों के खर्च और साइड इफ़ेक्ट से राहत मिलती है...      


खाद्य सामग्री निर्माण, संसाधन, सुरक्षा और डिब्बाबंदी का प्रत्येक चरण नैनोटेक्नोलॉजी के बिना अधूरा है। सूक्ष्मजीव प्रतिरोधक लेप (नैनोपेंट) भोजन को लम्बे समय तक खराब होने से बचाते हैं। भोजन में होने वाले जैविक और रासायनिक परिवर्तनों की पहचान और उपचार अब बहुत आसानी से किया जा सकता है। आसानी से साफ होने वाले तथा ख़रोंच प्रतिरोधी नैनोकोटिंग सिरेमिक एवं काँच आज की पीढ़ी की पहली पसंद बन गए हैं। जंग से बचाव के उद्देश्य से बनाए गए नैनोसिरेमिक सुरक्षा उपकरण उद्योगों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। पौधों की पोषक पदार्थ ग्राहक क्षमता बढ़ाने वाले और रोगों से बचाने वाले नैनोप्रोडक्ट्स निश्चित ही कृषि क्षेत्र में क्रांति ला देंगे। अब बाज़ार में ऐसे नैनोलोशन भी आ गए हैं जो न केवल आपकी कोशिकाओं को जवान और तंदुरुस्त बनाएँगे, बल्कि बुढ़ापे और बीमारियों से भी आपको कोसों दूर रखेंगे। कितने अद्भुत होंगे नैनोटेक्सटाइल्स और नैनोफैब्रिक्स पर आधारित कपड़े जो ना कभी सिकुड़ेंगे, ना उन पर कभी दाग-धब्बे लगेंगे, और तो और वे हमें कीटाणुओं से बचाएँगे भी।

वह दृश्य ही कितना रोमांचित कर देने वाला होगा जब हम फ़िल्मी तारिकाओं को नैनोसिल्वर युक्त साबुन, शैम्पू, कंडीशनर, दंत-मंजन तथा पराबैंगनी विकिरणों से बचाने वाले नैनोक्रिस्टल क्रीम के विज्ञापनों में देखेंगे। स्त्रियाँ नैनो आयनिक भाप वाले फेशियल और नैनोजेट तकनीक पर आधारित नैनोलिपस्टिक की दीवानी हो रही होंगी। त्योहारों के मौसम में नैनोसिल्वर युक्त वैक्यूम-क्लीनर, रेफ़्रिजरेटर, वॉशिंग-मशीन और एयर-कंडीशनर पर विशेष छूट दी जाएगी। हमारे खिलाड़ी नैनोबॉल, नैनोरैकेट या नैनोइपॉक्सी हॉकी से खेलते हुए दिखाई देंगे। सड़कों पर नैनोपेंट्स से पुती हुई और नैनोऑइल से चलने वाली गाड़ियाँ दिखाई देंगी जिनमें चुम्बकीय नैनोपार्टिकल्स से बने शक्तिशाली शॉक-एब्ज़ॉर्बर लगे होंगे। ऊर्जा संकट के इस दौर में उच्च शक्ति वाले नैनोस्ट्रक्चर्ड ऊर्जा बचत उपकरण निश्चित ही बहुत मददगार साबित होंगे। नैनोस्प्रे से महकता वो ऑफिस भी कितना खुशनुमा और साफ-सुथरा होगा जहाँ नैनोकोटेड फर्नीचर, नैनोमटैरियल से बने हुए उपकरण, ऊष्मा-परावर्ती नैनोकोटेड छ्तें और दीवारें तथा सूक्ष्म जीवों के संक्रमण से बचाने वाले फ़ोन और दरवाज़ों के हत्थे होंगे। उत्कृष्ट तथा उच्च परिशुद्धता वाले हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर तथा कई बिलियन प्रोसेसर क्षमता के डेस्कटॉप कम्प्यूटर्स हमारी उत्पादकता को कितना बढ़ा देंगे ये हम सोच भी नहीं सकते।

वाकई मानना पड़ेगा न्यूरॉन्स में लिपटी हुई मानव-मस्तिष्क की अगाध क्षमता को और अनखोजे को खोज निकालने के उसके जज़्बे को। विकास-यात्रा के पहले पायदान पर खड़े आदिमानव ने जंगली जानवरों को चीर-फाड़ करके खाते और उनकी खाल पहनते समय कभी सोचा भी नहीं होगा कि उसी की कोई नस्ल आगे चलकर नैनोफ़ाइबर पहनेगी, नैनोटी (नैनो चाय) पीएगी और नैनोन्यूट्रिएंट्स खाएगी। उपचार और जागरूकता के अभाव में असमय काल के गाल में समा जाने वाले हमारे पूर्वज उन नैनोरोबोट्स को देखकर कितने खुश होते, जिन्हें आज इंसानी शरीर के भीतर कैंसर कोशिका का ख़ात्मा करने के मिशन पर भेजा जाता है।

कितनी छोटी-छोटी चीज़ों से बना है हमारा जीवन, हमारी प्रकृति और हमारा विज्ञान... और खुद को कितना बड़ा समझते रहते हैं हम... यह जानते हुए भी कि सूक्ष्म को खोजे बिना विराट की यात्रा संभव नहीं।

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