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रिश्तों को फँसाता जाल

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प्रीति बिष्ट सिंह

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आज हर कोई सोशल नेटवर्किंग कर रहा है। सेलिब्रिटी से लेकर खेलो से जुड़े व्यक्तियों तक। ऑरकुट, फेसबुक, ट्विटर आदि में कौन क्या ट्वीट कर रहा है और कौन क्या कमेंट कर रहा है सभी चर्चा का विषय बना रहता है।

कई बिछड़े दोस्तों और जानकारों से आपको मिलने का मौका देने वाली इन साइट्स का प्रयोग कई बार आपके अपने करीबी रिश्तों को चोट पहुँचा सकता है। आइए सोशल नेटवर्किंग के प्रभाव के बारें में चर्चा करते हैं-

रजत अपने से ज्यादा अपनी गर्लफ्रेंड के ऑरकुट और फेसबुक अकांउट को चेक करता है। सिर्फ ये जानने के लिए की उसने किसे स्क्रैप किया है, किस पर कमेंट किया है और किसे अपना दोस्त बनाया है। इसी बात को लेकर दोनों में बहुत बहस होती है और अब हर रोज की लड़ाई ने उनके रिश्ते को कमजोर बना दिया है।

कंचन परेशान है कि उसका मंगेतर, अपना स्टेट्स सिंगल से कमिटिड क्यों नहीं कर रहा है जबकि उसकी सगाई हो गई है। क्यों उसकी फ्रेंड लिस्ट में लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा है? वह जानती है कि जब भी वह अपने मंगेतर का अकाउंट चुपके से चेक करती है तब वह परेशान होती है मगर फिर भी उसे उसका अकाउंट चेक करना जरूरी लगता है।

यह सिर्फ कंचन या रजत के साथ ही ऐसा नहीं हो रहा है। ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके रिश्तों में कड़वाहट केवल इन्हीं सोशल नेटवर्किंग के कारण आई है। इसके बावजूद भी इन साइट्स का लोगों में क्रेज बढ़ता ही जा रहा है।

सवाल उठता है कि सोशल नेटवर्किंग है क्या? दरअसल सोशल नेटवर्किंग नए जमाने में एक दूसरे से जुड़े रहने का एक माध्यम है। ऐसा नहीं है कि हम अपने दोस्तों से मिलकर या बात कर अपनी दोस्ती कायम नहीं रख सकते हैं या नए दोस्त नहीं बना सकते हैं।

मगर सोशल नेटवर्किंग साइट्स आपको उन दोस्तों से भी एक बार दुबारा से मिलने का मौका देती है जिन्हें आप कई साल पहले अपने पीछे छोड़ आए थे। सरल भाषा में सोशल नेटवर्किंग का सबसे मजबूत पहलू दोस्त बनाना है।

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