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पेन ड्राइव को बनाएँ कंप्यूटर की रैम

- राजीव शर्मा

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किसी भी कंप्यूटर की कार्य क्षमता में उसकी 'मेमोरी' (रैम) बहुत महत्वपूर्ण होती है। वैसे भी आजकल कंप्यूटरों में इतने 'भारी-भरकम' सॉफ्टवेयर और फाइलें इस्तेमाल होने लगी हैं कि उनके लिए ज्यादा से ज्यादा मेमोरी की जरूरत पड़ती है। पर दिक्कत यह आती है कि एक तो कंप्यूटर की रैम बहुत महंगी होती है और दूसरा इसे कंप्यूटर खोलकर फिट करना पड़ता है।

ऐसे में रैम का 'अपग्रेडेशन' झंझट वाला काम लगता है। लेकिन अब इसका हल भी आपके पेन ड्राइव (फ्लैश ड्राइव) में मौजूद है। आजकल कुछ ऐसे खास सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं जिनकी मदद से पेन ड्राइव का इस्तेमाल करके आप अपने कंप्यूटर की कार्य क्षमता में आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ोतरी कर सकते हैं।

इस रूप में पेन ड्राइव का प्रयोग न केवल सुविधाजनक, बल्कि सस्ता भी होता है। जहाँ दो जीबी स्टोरेज वाले एक पेन ड्राइव की कीमत 200-300 रुपए है, वहीं दो जीबी रैम इससे 10 गुना से भी अधिक महँगी है। इसके अलावा पेन ड्राइव का इस्तेमाल भी बहुत आसान होता है। यूएसबी पोर्ट में लगाओ, बस हो गया आपका कंप्यूटर 'सुपर कंप्यूटर'।

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पेन ड्राइव को कंप्यूटर मेमोरी की तरह काम में लेने वाली यह तकनीक लैपटॉप के लिए उपयोगी है। इसमें लगने वाली रैम डेस्कटॉप की रैम से भी महंगी होती है और हार्डडिस्क की स्पीड भी डेस्कटॉप की तुलना में कम होती है।

माइक्रोसॉफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज विस्टा व विंडोज-7 की 'रेडीबुस्ट' तकनीक के अलावा अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए 'ईबुस्टर' जैसे सॉफ्टवेयर पेन ड्राइव के जरिए कंप्यूटर को नई गति देने का काम कर रहे हैं। इनकी सहायता से बार-बार इस्तेमाल होने वाली फाइल, एप्लीकेशन या प्रोग्राम अपेक्षाकृत ज्यादा तेजी से चलाए जा सकते हैं।

इस तकनीक से जुड़े सॉफ्टवेयर इस बात का ध्यान रखते हैं कि आप किस प्रोग्राम को ज्यादा चलाते हैं। इन्हें वे मेमेरी या 'वर्चुअल मेमेरी' के एक भाग में 'रिजर्व' करके रख लेते हैं। फिर जब भी आप उसके लिए कमांड देते हैं तो वे सीधे इस मेमोरी से ही चलते हैं। इससे कंप्यूटर के काम करने की गति तेज हो जाती है। यही वजह है कि अधिक मेमोरी होने से कंप्यूटर की गति तेज लगती है। इस तकनीक से कंप्यूटर के 'बूट' (स्टार्ट) होने की गति भी पहले की तुलना बढ़ जाती है।

असल में, कंप्यूटर में जो भी काम होता है वह प्रोसेसर द्वारा मेमोरी में ही जाता है, पर चूंकि मेमोरी की क्षमता एक सीमा तक ही होती है इसलिए बड़े-बड़े प्रोग्राम या फाइलों के लिए कंप्यूटर की हार्डडिस्क में 'वर्चुअल मेमोरी' जैसी विधि की व्यवस्था होती है, लेकिन यहां यह दिक्कत आती है कि हार्डडिस्क की स्पीड कम होती है और अगर एक साथ कई-कई काम किए जाने लगें तो यह और कम हो जाती है।

ऐसे में अगर पेन ड्राइव को इस रूप में प्रयुक्त किया जाए तो जाहिर है इससे कंप्यूटर की क्षमता बढ़ जाएगी क्योंकि यह हार्डडिस्क में बनी वर्चुअल मेमोरी से कई गुना अधिक तेजी से काम कर पाता है। इस तरह यह कंप्यूटर के लिए अतिरिक्त 'कैशिंग' साबित होता है। वैसे पेन ड्राइव के अलावा सीएफ, एसडी, एसडीएचसी, एमएमसी, एक्सडी जैसे दूसरे कई मेमोरी कार्ड या एक्सटर्नल हार्ड डिस्क का भी इस रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। बशर्ते उनकी 'रीड-राइट स्पीड' अच्छी हो।

कैसे करें इस्तेमाल?
माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज विस्टा व विंडोज-7 की रेडीबुस्ट तकनीक या 'ईबुस्टर' प्रोग्राम वाले कंप्यूटर में पेन ड्राइव के जरिए कंप्यूटर की कार्य क्षमता बढ़ाना आसान होता है। जब कोई पेन ड्राइव कंप्यूटर से जोड़ा जाता है, तो कंप्यूटर अपने आप पता लगा लेता है कि डिवाइस की गति या क्षमता इस काम के लिए सही है या नहीं। अगर यह सही हो तो सिस्टम आपसे इसके द्वारा कंप्यूटर की क्षमता बढ़ाने के लिए पूछता है।

आप दी गई एक न्यूनतम सीमा से अधिक इसके लिए निर्धारित करके कंप्यूटर तेज कर सकते हैं। बस, इसके बाद आपको अपना कंप्यूटर एक बार रि-र्स्टाट करना होता है। यहाँ इस बात का ख्याल जरूर रखें कि जो भी पेन ड्राइव या दूसरे कार्ड आप इस काम केलिए इस्तेमाल कर रहे हैं वे यूएसबी 2.0 क्षमता वाले हों।

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