अगर कम्प्यूटर के बिना आपका मन नहीं लगता, देर तक कम्प्यूटर से दूर रहने पर बेचैनी महसूस होने लगती है, उसके बिना जीवन में कुछ अधूरा-सा लगता है, जरूरत न होने पर भी बेवजह घंटों तक कम्प्यूटर से चिपके रहते हैं, उस पर काम करने के बहाने खोजते हैं; अपने घरवालों, दोस्तों और असल जिंदगी को भूलकर इंटरनेट के 'वर्चुअल' संसार में जीने लगे हैं तो संभल जाइए। आप 'कम्प्यूटर एडिक्शन' (कम्प्यूटर की लत) के शिकार हो चुके हैं।
यह कम्प्यूटर के प्रति आपका लगाव या प्यार नहीं, बल्कि लत है। कम्प्यूटर-इंटरनेट पर काम करने वाले लाखों लोगों को आजकल इस तरह की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कम्प्यूटर की लत के शिकार हो चुके लोग अपने दफ्तरों में तो कम्प्यूटर-इंटरनेट पर काम करते ही हैं, इसके अलावा घर जाकर आराम व नींद का समय भी कम्प्यूटर की भेंट चढ़ा देते हैं।
इनका उठना, बैठना, खाना-पीना, सोना-जागना, सफर आदि सब कुछ कम्प्यूटर के साथ ही होने लगता है। यहां तक कि खाली समय में इनके विचारों में भी कम्प्यूटर-इंटरनेट ही छाया रहता है। यानी अगर कभी इनके पास कम्प्यूटर न भी हो, तो भी इनके जेहन में वह 'चल' रहा होता है।
अब इसे चलन कहिए या लत, कम्प्यूटर के साथ-साथ 'साइबर स्पेस' में समय बिताने का पागलपन भी लगातार बढ़ता जा रहा है। बहुत-से लोग अपना असली घर-संसार, दोस्तों को भूलकर इस 'वर्चुअल वर्ल्ड' में ही ज्यादा समय देने लगे हैं। ऐसे लोग ताजी हवा या धूप के लिए भी कम्प्यूटर-इंटरनेट के सहारे कोई प्राकृतिक चित्र या क्लिपिंग देखकर संतुष्ट हो जाते हैं। ये लोग जाने-अनजाने लोगों से घंटों तक चैटिंग करने, सोशल साइट्स पर अपने साथी बनाने, ब्लॉग लिखने आदि के जंजाल में अपने निजी व सामाजिक जीवन से निरंतर दूर होते जाते हैं।
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मन में दबी इच्छाओं-कुंठाओं, सेक्स, हिंसा, ऑन लाइन-ऑफ लाइन वीडियो गेम या जुए आदि के लिए भी इसका बखूबी इस्तेमाल किया जाने लगता है। इस वजह से कई लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त और रिश्ते-संबंध तबाह होने लगते हैं।
इस चक्कर में लोग अपना दायित्व, दूसरे काम और जिम्मेदारियां भी भूलने लगते हैं। अपने साथ वाले घरों के पड़ोसियों का हाल भले ही इन्हे पता न हो, लेकिन किसी सोशल साइट के जरिए 'दोस्त' बने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड जैसे किसी देश के दूर-दराज इलाके में रहने वालों के कुत्ते, बिल्ली, तोते के बारे में भी इन्हे पता होता है।
घर के बिजली-पानी का बिल जमा कराना भले ही इन्हे याद न रहता हो; लेकिन फेस बुक, ऑरकुट या ट्विटर वगैरह पर किसी को भी 'कमेंट' या 'रिप्लाई' करना नहीं भूलते। विदेशों में तो इसकी वजह से लोगों की अच्छी-खासी नौकरी छूटने और पति-पत्नी के बीच तलाक होने तक की खबरें भी गाहे-बगाहे सुनने में आने लगी हैं। डॉक्टरों, मनोविशेषज्ञों और समाजशास्त्रियों के पास भी इस तरह की समस्याओं से जुड़ीं शिकायतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
अध्ययन बताते हैं कि कम्प्यूटर-इंटरनेट की इस समस्या में दिनोंदिन वृद्धि हो रही है। कुछ समय पहले अमेरिका में हुए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि ऐसे लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है जो अपने दैनिक जीवन में कम्प्यूटर से जुदा होकर रह ही नहीं सकते।
कम्प्यूटर-इंटरनेट की लत की वजह से इनकी हालत यह होने लगती है कि ये लोग बिना जरूरत या बिना किसी काम के भी कम्प्यूटर-इंटरनेट पर 'काम' करते रहते हैं। कई बार तो बेकार या गैर-जरूरी काम के लिए भी कम्प्यूटर चलाकर बैठे रहते हैं और नींद के झोंके भी खाते रहते हैं। स्कूल-कॉलेज में जाने वाले बच्चों की पढ़ाई भी इससे प्रभावित होने लगती है।
जरूरत से शौक और शौक से आदत में तब्दील होने वाली कम्प्यूटर-इंटरनेट की इस लत के कारण न जाने कितने ही लोगों को तरह-तरह के शारीरिक-मानसिक कष्ट उठाने पड़ रहे हैं। हर रोज लगातार 10-12 घंटों तक कम्प्यूटर पर आंखें गड़ाने, एक ही स्थिति में बैठने व माउस पकड़ने के कारण ड्राईआई, आंखों में लालपन, नींद न आना, थकान, कमर व गर्दन में दर्द, हाथ-पैरों का सुन्न होना, कलाई के आस-पास स्थायी रूप से दर्द रहना, हाथ और उंगलियों का सूजना आदि शामिल हैं।
कुछ मामलों में तो डॉक्टर मर्ज की गंभीरता को देखते हुए सालभर तक कम्प्यूटर पर काम न करने की भी चेतावनी दे देते हैं। इसके अलावा कुछ मामलों में रोगी के हाथ की अवरुद्ध हो चुकी नसों को खोलने के लिए ऑपरेशन तक की नौबत भी आ जाती है लेकिन इससे भी गंभीर बात तो यह है कि इसके बावजूद भी कम्प्यूटर की लत के शिकार हो चुके लोग कम्प्यूटर से अपना मोह नहीं त्याग पाते हैं। वैसे, दूसरी बुरी लतों की तरह कम्प्यूटर की लत को भी खत्म किया जा सकता है, पर इसके लिए जरूरी है आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प व समझदारी।