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वर्चुअल वर्ल्ड की शुरुआत...

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स्वागत है आपका एक ऐसी दुनिया में जहाँ आप मनचाहा रूप-रंग पा सकते हैं, गायब होकर सैंकिंड्स में कहीं भी पहुँच सकते हैं, इंसान होने के बावजूद भी उड़ सकते हैं और पलक झपकाते ही किसी भी वस्तु का निर्माण कर सकते हैं। चौंकिए मत, ये किसी विडियो गेम्स का ट्रेलर नहीं है, वास्तव में यही है वर्चुअल वर्ल्ड।

जहाँ तक इस विचारधारा की नींव रखने की बात है, तो इसके प्रमाण 1962 में अविष्कृत 'सेंसोरेमा' नामक एक मैक्निकल मशीन के रूप में मिलते हैं। ये मशीन दृष्टि, ध्वनि, संतुलन, गंध व स्पर्श को महसूस कर सकती थी। धीरे धीरे इस तकनीक का प्रयोग मनोरंजन जगत में किया जाने लगा।

जब 3डी फिल्मों ने सफलता का झंडा लहराया, तब अविष्कार हुआ 4डी फिल्मों का, जिसमें दर्शक सामने चल रहे दृश्य को स्वंय पर महसूस भी कर सकते थे। वीडियो गेम्स के जगत में मेज वार नामक शूटिंग गेम एक मील का पत्थर साबित हुआ जो कि 3डी तकनीक पर आधारित था।

ड्रिमस्केप, सीटिस्पेस तथा द प्लेस कुछ शुरूआती वर्चुअल वर्ल्ड के मंच रहे जिन्होनें 2डी और 3डी में काफी क्रांतिकारी आयाम दिए। प्रथम ऑनलाइन वर्चुअल वर्ल्ड का खिताब पाया 1987 में ल्यूकास फिल्म गेम्स द्वारा अविष्कृत हैबिटेट ने।

वर्चुअल वर्ल्ड की कार्यशैली
एक वर्चुअल वर्ल्ड को काम करने के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म चाहिए होता है, जो कि प्रतिदिन हर घंटे और हर मिनट सक्रिय रहा। छोटे स्तर पर ये आसान होता है, क्योंकि वहां मेंटेनेंस के लिए कम से कम डॉउनटाइम की आवश्यकता पड़ती है। कुछ लोग इसे मात्र काल्पनिक मान कर अंदेखा भी करते हैं। परंतु ध्यानपूर्वक अध्ययन में पाया गया है कि 'असली' और 'आभासी' दुनिया में अधिक अंतर नहीं है।

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दोनों में ही समय समय पर प्रतिभागी आते और जाते रहते हैं। आभासी दुनिया में भी सबके अवतार वैसे ही अलग अलग होते हैं जैसे असली दुनिया में सबकी संस्कृति और मान्यताएँ। आभासी दुनिया में भी लोगों के पास समय कम होता है, जैसे कि असली दुनिया में। वर्चुअल वर्ल्ड के प्रतिभागियों के पास भी सीमित समय होता है जिसमें उन्हें अपनी जरूरत के साधन भी जुटाने होते हैं।

वर्चुअल वर्ल्ड का दायरा
वर्चुअल वर्ल्ड का प्रयोग करने वाले और इससे जुड़ने वाले लोगों की संख्या प्रति माह 15 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रही है और आँकड़े बताते कि यह रफ्तार धीमी भी नहीं होने वाली।

आगे आने वाले समय में संभावनाएँ है कि विभिन्न देशों की सरकारें भी एक दूसरे वर्चुअल वर्ल्ड के माध्यम से सम्पर्क करें। आखिर वर्चुअल वर्ल्ड का हिस्सा बन कर आप क्या नहीं कर सकते? घर बैठे ही आप मिनटों में दुनियाभर की सैर कर सकते हैं, एक दूसरे से जुड़ने के साथ साथ पार्टी, खेल और व्यापार भी कर सकते हैं।

हाँ, हर नई तकनीक के साथ-साथ कुछ दुष्परिणाम भी जन्म लेते हैं। देखना ये है कि वर्चुअल वर्ल्ड समाज में ऑनलाइन समुदाय के कितने प्रतिभागियों का दिल जीत पाता है। फिलहाल तो नजारे सुखमय ही हैं।

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