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साल 2010 : पटरी पर आईटी मेल

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भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग के लिए यह साल (2010) पटरी पर लौटने के समान रहा और साफ्टवेयर प्रौद्योगिकी उत्पादों की माँग में सुधार तथा वैश्विक अर्थवस्थाओं में स्थिरता ने अच्छे संकेत दिए जो आने वाले साल में इस उद्योग को फिर नई ऊँचाई दे सकते हैं।

आईटी उद्योगों के संगठन नास्काम का कहना है कि भारतीय आईटी बीपीओ उद्योग इस वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर 70 अरब डालर के स्तर को छू जायेगा।

भारतीय आईटी उद्योग दुनिया भर में चर्चा का केंद्र बना रहा और साल की शुरुआत ही अच्छी रही जब टाटा कंसलटेंसी तथा इन्फोसिस ने आय में गिरावट के पूर्व संकेतों के विपरीत अच्छा लाभ कमाया। बाद में अमेरिका सहित अन्य प्रमुख पश्चिमी बाजारों से अच्छी मांग के कारण आईटी उद्योग की कुल आय में 5.5 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली।

नास्काम का कहना है कि सरकार द्वारा इस वित्त वर्ष में सूचना प्रौद्योगिकी पहल पर 25,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का अनुमान है और इसने घरेलू आईटी-बीपीओ क्षेत्र को नयी गति दी। इसके परिणाम में घरेलू आईटी बीपीओ सेवा खंड के वित्त वर्ष 2010-11 में बढ़कर 16.7 अरब डालर होने का अनुमान है जो 14 प्रतिशत की चक्रवृद्धि बढ़ोतरी दिखाती है। वित्त वर्ष 2008-09 में यह राशि 12. 8 अरब डालर रही थी।

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वहीं उत्पाद उद्योग के आलोच्य अवधि में 11 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज करने का अनुमान हैं नौकरियों के लिहाज से भी यह साल आईटी उद्योग के लिए कई सुखद संकेत लेकर आया। एक साल पहले साफ्टवेयर कंपनियों ने नयी भर्तियों पर तो रोक लगाई ही, वैश्विक मंदी के चलते उन्होंने छंटनियां भी कीं। लेकिन इस साल की शुरुआत में ही कंपनियों ने नयी भर्तियों को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया।

देश की सबसे बड़ी साफ्टवेयर कंपनी टीसीएस की मौजूदा वित्त वर्ष में 50,000 से अधिक भर्तियों की योजना है। इसी तरह इन्फोसिस मार्च, 2011 तक 20,000 नयी नौकरियां देने का लक्ष्य लेकर चल रही है।

विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय आईटी उद्योग में नई नौकरी के लिए अन्यत्र जाने की दर (एट्रिशन रेट) 18-20 प्रतिशत है और अगले साल भर में यहाँ दो लाख नयी नौकरियाँ दी जा सकती हैं।

वैसे बीता साल भारतीय आईटी उद्योग से जुड़ी अनेक खबरों के लिए चर्चा में रहा जिनमें अमेरिकी राज्य ओहियो द्वारा सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग पर प्रतिबंध, प्रतिनिधि सभा द्वारा दक्ष कमर्चारियों के वीजा शुल्क में भारी वृद्धि, अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा विदेश में नौकरियाँ देने वाली कंपनियों से कर लाभ वापस लेने की घोषणा शामिल है।

अगले साल में भारतीय आईटी उद्योग को इस बात पर भी निगाह रखनी होगी कि वियतनाम तथा फिलिपींस जैसे देश कम लागत के कारण इस क्षेत्र में उसके कड़े प्रतिद्वंद्वी के रूप में सामने आ रहे हैं। इन्फोसिस के संरक्षक एन आर नारायणमूर्ति के उत्तराधिकारी को लेकर अटकलें साल भर चलीं जबकि विपा्रे के अजीम प्रेमजी ने 8,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि एक ट्रस्ट को दान की घोषणा कर एक नई मिसाल कायम की। (भाषा)

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