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हाईटेक हुई बेगिंग

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जब तकनीक ने हर चीज में अपना दायरा बढ़ाया है तो भीख माँगने के क्षेत्र में इसका प्रवेश कैसे नहीं होगा? आप अगर अपनी परेशानी का रोना रोकर पूरी दुनिया के लोगों से पैसे माँग रहे हैं, तब इसे भीख नहीं तो और क्या कहेंगे? इस 'साइबर बेगिंग' में तमाम बड़ी-बड़ी संस्थाओं से लेकर एक अंजान व्यक्ति दुनियाभर के यूजर्स से आर्थिक सहायता की प्रार्थना करते हैं।

इस प्रकार पारंपरिक भीख माँगने के तरीके में तकनीक को जोड़कर इसे हाइटेक बना दिया गया है। लेकिन इन हाइटेक तरीकों को अपनाने वाले इसे भीख माँगना नहीं कहते, वे तो इसे सिर्फ मदद की दरकार का नाम देते हैं।

हाइटेक बेगिंग के तरीके अपनाकर लोग भले ही कुछ कहें, लेकिन असल में माँग तो भीख ही रहे हैं। इंटरनेट पर भीख माँगने वाले हाई क्लास और हाई स्टैंडर्ड भिखारी होते हैं। साइबर बेगिंग का एक दिलचस्प उदाहरण 2002 में कैरेन बोस्नक का सामने आया। कैरेन ने सेव कैरेन डॉट कॉम नाम से एक वेबसाइट बनाकर क्रेडिट कार्ड के अपने कर्ज को चुकाने के लिए मदद माँगी।

हैरत इस बात की है कि कैरेन पर ये कर्ज इसलिए हो गया था, क्योंकि वह डिजाइनर कपड़े पहनती थी और महँगे रेस्त्राँ में महँगी कॉफी पीती थी। इस कर्ज को चुकाने के लिए कैरेन ने दुनियाभर के लोगों से मदद माँगी। हैरत इस बात की है कि कैरेन ने कुछ महीनों बाद ही अपनी वेबसाइट पर धन्यवाद संदेश छोड़ा, जिससे यह संकेत मिलता है कि उसने अपना कर्ज चुका दिया था।

आप अगर अपनी परेशानी का रोना रोकर पूरी दुनिया के लोगों से पैसे माँग रहे हैं, तब इसे भीख नहीं तो और क्या कहेंगे? इसमें तमाम बड़ी-बड़ी संस्थाओं से लेकर एक अंजान व्यक्ति दुनियाभर के यूजर से आर्थिक सहायता की प्रार्थना करते हैं। इस प्रार्थना के पीछे एक भावुक गुजारिश या तंग माली हालत का मार्मिक चित्रण मौजूद रहता है।

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पारंपरिक भीख माँगने के तरीके में तकनीक को जोड़कर इसे हाइटेक बना दिया गया है। लेकिन इस हाइटेक तरीकों को भीख माँगना नहीं कहते, वह तो इसे सिर्फ मदद की दरकार का नाम देते हैं। इन हाइटेक भिखारियों का मानना है कि हम किसी के आगे हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते नहीं हैं।

हम सिर्फ अपनी समस्या बताकर लोगों से मदद की अपील करते हैं। अगर लोगों को यह लगता है कि उन्हें हमारी मदद करनी चाहिए तो वे ही करते हैं। हाइटेक बेगिंग के तरीके अपनाकर लोग भले ही कुछ कहें, लेकिन असल में माँग तो भीख ही रहे हैं।

इंटरनेट पर भीख माँगने वाले हाई क्लास औऱ हाई स्टैंडर्ड भिखारी होते हैं। इन हाई क्लास भिखारियों को अगर किसी ने गलती से भी भिखारी कहा तो ये पसंद नहीं करेंगे। इन हाई प्रोफाइल लोगों में भीख माँगना उनके स्तर का पेशा है।

दरिद्रता या मजबूरी का इनसे कोई नाता नहीं होता। यह तो सिर्फ खुद को मालामाल करने के लिए भीख माँगते हैं। बशर्ते इनका तरीका भिखारियों से कुछ अलग होता है। ये किसी के आगे गिड़गिड़ाते नहीं हैं, बल्कि पूरे अधिकार से अनुदार, चंदा या मदद के नाम पर लोगों से पैसे माँगते हैं।

इन हाईक्लास भिखारियों का स्वरूप भी हाई क्लास ही होता है।अब गैर सरकारी संस्था यानी एनजीओ भी इंटरनेट के माध्यम से मदद और अनुदान माँगने का रास्ता अख़्तियार करने लगी है।

गैर सरकारी आँकड़ों की मानें तो इस समय अकेले भारत में 80 से 85 लाख एनजीओ हैं। ये एनजीओ जरूरतमंदों की मदद करने नाम पर हर किसी से आर्थिक सहायता की गुहार लगाते रहते हैं। अब तो नामी गिरामी हस्तियाँ भी समाजसेवी संस्थाएँ चला रही हैं।

किरण बेदी का नवज्योति एनजीओ गरीब और असहाय महिलाओं की मदद करता है। इस एनजीओ में नियुक्त कर्मचारी बड़े-बड़े उद्योगपतियों के पास जाकर उनसे आर्थिक मदद की गुहार लगाते हैं। उद्योग घराने दान-पुण्य के इरादे से इन एनजीओ को अच्छी खासी राशि देते रहते हैं।

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