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नासा का पहला अंतरिक्ष इंटरनेट

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गरिमा माहेश्वरी
WDWD
अब पृथ्वी और अंतरिक्ष के बीच इंटरनेट के माध्यम से संपर्क करना कोई सपना नहीं रहा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने इस सपने को साकार करने का पहला चरण पार कर लिया है।

एक अमेरिकी समाचार एजेंसी के अनुसार, नासा ने अंतरिक्ष में इंटरनेट पर आधारित संचार तंत्र का पहला सफल परीक्षण करने के साथ ही पृथ्वी से बहुत से चित्रों का आदान-प्रदान भी किया।

पृथ्वी से संपर्क करने के लिए इसमें एक खास सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया गया है जिसे डिसरप्शन टॉलेरेंट नेटवर्किंग कहा जाता है। यह सॉफ्टवेयर मुख्यत: उपग्रहों से संपर्क करने के लिए उपयोग किया जाता है। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से नासा और अंतरिक्ष में स्थित स्पेसक्राफ्ट के बीच चित्रों का आदान-प्रदान उतनी ही आसानी से किया जा सकेगा जितना कि पृथ्वी पर एक पीसी से दूसरे पीसी पर त स्वीरें भेजी जाती हैं। विशेष तथ्य यह है कि इस सॉफ्टवेयर से 32 मिलियन किलोमीटर की लंबी दूरी भी आसानी से तय की जाएगी।

यह नासा का पहला सफल कदम है जिसके माध्यम से दो ग्रहों के बीच इंटरनेट पर आधारित संचार प्रक्रिया को और भी मजबूत बनाया जा सकेगा। डीटीएन नामक इस सॉफ्टवेयर का निर्माण नासा और गूगल की साझेदारी में किया गया है।
  अब पृथ्वी और अंतरिक्ष के बीच इंटरनेट के माध्यम से संपर्क करना कोई सपना नहीं रहा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने इस सपने को साकार करने का पहला चरण पार कर लिया       


पृथ्वी पर मौजूद इंटरनेट, टीसीपी/आईपी प्रोटोकॉल की सहायता से कार्य करता है लेकिन इस अंतरिक्ष इंटरनेट के लिए खासतौर पर एक प्रोटोकॉल बनाया गया है जो टीसीपी/आईपी से थोड़ा अलग है।

इस इंटरनेट संचार तंत्र की एक विशेषता यह है कि जब कोई डाटा किसी कारणवश अपने निर्धारित गंतव्य तक नहीं पहुँचता है तो इसे नेटवर्क में मौजूद नोड स्टोर करके रख लेते हैं और निर्धारित नोड के फ्री होते ही डाटा को उस तक पहुँचा देता है। इस तकनीक से फायदा यह है कि इसकी मदद से डाटा लॉस की संभावना कम हो जाती है।

आने वाले कुछ सालों में इस तरह के इंटरनेट कनेक्शन बहुत से अंतरिक्ष अनुसंधानों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगे।

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