Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

ट्राई का Do-not-disturb app मार्च तक, अनचाही कॉल और संदेशों का तत्काल पता चलेगा

हमें फॉलो करें mobile
नई दिल्ली , मंगलवार, 21 नवंबर 2023 (21:52 IST)
TRAI's Do-not-disturb app: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) अपने डू-नॉट-डिस्टर्ब (TRAI's Do-not-disturb app) (डीएनडी) ऐप में मौजूद खामियां दूर करने में लगा हुआ है ताकि मोबाइल फोन (mobile phone) ग्राहकों को अनचाही कॉल और संदेशों का तत्काल पता लगाने में मदद मिले।
 
ट्राई के सचिव वी. रघुनंदन ने मंगलवार को ट्रू कॉलर के एक कार्यक्रम में कहा कि दूरसंचार नियामक उपभोक्ताओं के सामने आने वाली तकनीकी समस्याओं के समाधान के लिए डीएनडी ऐप में मौजूद तकनीकी खामियों को दुरुस्त करने में जुटा हुआ है।
 
रघुनंदन ने कहा, हमने एक एजेंसी को अपने साथ जोड़ा है, जो इस ऐप की खामियां दूर कर रही है। कुछ एंड्रॉयड उपकरणों के साथ समस्याएं थीं जिन्हें काफी हद तक दूर कर लिया गया है। हम मार्च तक इस ऐप को सभी एंड्रॉयड फोन के अनुकूल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
 
जब मोबाइल ग्राहक अपने फोन पर आने वाली स्पैम कॉल और एसएमएस को चिह्नित करने का प्रयास करते हैं तो ट्राई के डीएनडी ऐप में खामियां नजर आने लग रही हैं। हालांकि ट्राई सचिव ने कहा कि इस ऐप में सुधार के साथ ग्राहकों के फोन पर स्पैम कॉल और एसएमएस की संख्या में काफी कमी आई है।
 
हालांकि आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल ने डीएनडी ऐप को कॉल विवरण तक पहुंच देने से इनकार कर दिया था। लेकिन रघुनंदन ने कहा कि इस ऐप को एप्पल के आईओएस उपकरणों के अनुकूल भी ढालने की कोशिश जारी है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की कोई भी एक एजेंसी देश में सुरक्षा के सभी पहलुओं का ध्यान नहीं रख सकती है। ऐसे में रणनीतिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ सहयोगात्मक नजरिया अपनाने की जरूरत है।
 
इस मौके पर अनजान फोन नंबर को चिह्नित करने में मददगार ऐप ट्रूकॉलर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और सह-संस्थापक एलेन मामेदी ने कहा कि भारत में 27 करोड़ लोग इस ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं और देश में रोजाना प्लेटफॉर्म के माध्यम से 50 लाख स्पैम कॉल की सूचना मिलती है।
 
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब आवाज की क्लोनिंग या हेराफेरी के जरिए की जाने वाली गड़बड़ियों को चिह्नित करने की चुनौती आ गई है। उन्होंने कहा कि पहले बुजुर्ग लोग डिजिटल धोखाधड़ी के सबसे ज्यादा शिकार होते थे, लेकिन अब कम उम्र के लोग भी इसका शिकार बन रहे हैं।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इस साल अब तक रिकॉर्ड 41,000 पेटेंट जारी किए, पिछले वर्ष से 7 हजार अधिक