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भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में रथ खींचने के क्या है नियम और पुण्यफल

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WD Feature Desk

, सोमवार, 16 जून 2025 (17:00 IST)
Jagannath Rath Yatra 2025: प्रतिवर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पुरी में जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा निकाली जाती है। इस बार जगन्नाथ यात्रा 27 जून शुक्रवार 2025 को निकलेगी। मान्यता है कि जो भी भक्त इस शुभ रथयात्रा में सम्मिलित हो होकर रथ खींचते हैं उन्हें 100 यज्ञों के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। 
 
जगन्नाथ रथयात्रा रथ खींचने के नियम:
  • भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने को लेकर कोई भी नियम नहीं है। 
  • किसी भी धर्म, जाति, प्रांत या देश का व्यक्ति रख खींच सकता है। इसे कोई भी भक्त खींच सकता है। 
  • क्रम से सभी रथ की रस्सी को खींचते हैं। 
  • माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने वाला जीवन काल के चक्र से मुक्त हो जाता है।
  • रथ यात्रा में तीन रथ होती हैं। एक जगन्नाथजी का, दूसरा बलरामजी का और तीसरा सुभद्रा जी का।
  • बलरामजी के रथ को 'तालध्वज' कहते हैं। देवी सुभद्रा के रथ को 'दर्पदलन' या ‘पद्म रथ’ कहा जाता है। 
  • भगवान जगन्नाथ के रथ को 'नंदीघोष' या 'गरुड़ध्वज' कहते हैं। 
  • तीनों रथों को खींचकर 3 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है जहां भगवान 10 दिनों तक आराम करने के बाद 11वें दिन पुन: जगन्नाथ मंदिर लौट आते हैं।
  • भगवान जगन्नाथ अर्थात श्री कृष्ण के रथ को नंदी घोष रथ में 16 पहिये लगे होते हैं और 45 फीट ऊंचा होता है।
  • इसे जिस रस्सी से खींचते हैं उसे शंखाचुड़ा नाड़ी कहते हैं। 
  • बलरामजी के रथ में 14 पहिये होते हैं यह 43 फीट ऊंचा होता है। इस रथ को खींचने वाली रस्सी को बासुकी कहते हैं। 
  • सुभद्रा के रथ में 12 पहिये लगे होते हैं और यह रथ 42 फीट ऊंचा होता है। इसे जिस रस्सी से खींचते हैं उसे स्वर्णचूड़ा नाड़ी कहा जाता है।
 
कहां से कहां तक निकलती है रथयात्रा: तीनों रथों को मोटी रस्सियों से खींचकर 4 किलोमीटर दूर गुंडीचा मंदिर ले जाया जाता है। रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर से निकलकर गुंडिचा मंदिर पहुंचती है। सभी को कुछ कदमों तक ही रथ खिंचने दिया जाता है।

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