Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(द्वितीया तिथि)
  • तिथि- माघ शुक्ल द्वितीया
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त- सावान मास प्रा., अवतार मेहेर बाबा पु.
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia

अहिल्या नगरी में हुआ बिंदु-सिंधु महामिलन

गुरु-शिष्य मिलन देख भीगीं पलकें

Advertiesment
हमें फॉलो करें अहिल्या नगरी में हुआ बिंदु-सिंधु महामिलन
ND
हजारों भक्तों को जिस बिंदु-सिंधु महामिलन का बहुत समय से इंतजार था वह रविवार को सुबह पूरा हुआ। माँ अहिल्या की नगरी (इंदौर) के इतिहास में इतना बड़ा गुरु-शिष्य मिलन साक्षात देखने के लिए राजवाड़ा पर सुबह से ही भक्तगण व्याकुल थे। करीब सात बजे मुनि पुलकसागरजी गुरु की अगवानी करने के लिए राजवाड़ा पहुँचे। 7.30 बजे जैसे ही आचार्य पुष्पदंतसागरजी महाराज राजवाड़ा पहुँचे पूरा राजवाड़ा आचार्यश्री की जय-जयकार से गूँज उठा।

मुनि पुलकसागरजी महाराज ने गुरु के चरणों में साष्टांग दंडवत प्रणाम कर आचार्यश्री को नमन किया एवं उनसे आशीष माँगा तो आचार्यश्री ने उन्हें गले लगाकर अपना वात्सल्य दर्शाया। इस दृश्य को देखकर हजारों भक्तों की आँखें छलछला गईं। इसके साथ ही मुनिश्री ने आचार्यश्री के साथ आए सभी संतों का अभिवादन किया। यहाँ पर मुनिश्री ने आचार्यश्री के पाद प्रक्षालन भी किए।

इसके बाद यहाँ से भव्य शोभायात्रा निकली जो पोद्दार प्लाजा पहुँची। पूरे कृष्णपुरा क्षेत्र में तरुण क्रांति मंच के नेतृत्व में आचार्यश्री एवं मुनि संघ का पाद प्रक्षालन किया गया। पोद्दार प्लाजा में आचार्य संघ के प्रवेश के बाद पांडाल में बनाए गए अलग रास्ते पर आचार्यश्री का 108 थालियों में पाद प्रक्षालन किया गया।

webdunia
ND
दृश्य था उसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी। कमलासन पर विराजमान आचार्यश्री एवं चरण वंदना के लिए मुनि पुलकसागरजी विराजित थे। हाइड्रोलिक कमलासन पर मुनिश्री ने आचार्यश्री के चाँदी के कलश से पाद प्रक्षालन किए एवं चारों ओर की परिक्रमा की। यहाँ पर भक्तों ने गुलाब व चाँदी के फूलों व रत्नों से वर्षा की। इस अवसर पर सांसद सज्जनसिंह वर्मा एवं विधायक अश्विन जोशी भी उपस्थित थे।

संत कृपा मधुबन की ओर ले जाती है : आचार्यश्री ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में तीन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पात्रता, प्राप्ति और समझ का विकास। यदि किसी को पात्रता के बिना किसी उपलब्धि की प्राप्ति हो भी जाए तो उसका दुरुपयोग ही होगा। सम्यक दर्शन से भीतर का आनंद जागृत होता है और भीतर के आनंद से चारों ओर शांति की पात्रता होती है।

उन्होंने कहा कि मैं अब तक तो आउटडोर शूटिंग पर था, लेकिन अब इंडोर शूटिंग पर इंदौर आया हूँ। मुनि पुलकसागरजी को गुफा का दर्पण बताते हुए कहा कि सूरज के वश में नहीं है कि वह गुफा में अपना उजाला ले जाए इसलिए यदि हाथ में दर्पण हो तो उस दर्पण के सहारे सूरज का उजाला गुफा के भीतर के अँधेरे को चीर सकता है। मुनिश्री वही गुफा दर्पण है जो हर गुफा के भीतर विद्यमान अँधेरे को दूर कर उजाला फैला देते हैं।

webdunia
ND
गुरु कृपा की देन हूँ : मुनि पुलकसागरजी ने इंदौर की धरती को धन्य बताते हुए कहा कि यह इसलिए वंदनीय है कि गुरु से शिष्य का मिलन हुआ अपितु इसलिए भी वंदनीय है कि इस धरती पर गुरु से उनके गुरु आचार्य विमलसागरजी महाराज का भी मिलन यहीं हुआ। इंदौर उनके लिए सम्मेद शिखर से कम नहीं है यह आचार्य पद भूमि है।

मुनिश्री ने गुरु रामदास और शिष्य शिवाजी का दृष्टांत सुनाया और कहा कि एक गुरु लाखों शिष्य तैयार कर सकते हैं लेकिन लाख शिष्य मिलकर भी एक गुरु का निर्माण नहीं कर सकता। मुनिश्री ने कहा कि मैं तो खोटा सिक्का हूँ मेरे गुरु ने मुझे अपनाकर अनमोल बना दिया है।

गुरुदेव के सान्निध्य को पीहर की संज्ञा देते हुए कहा कि पुष्पगिरि तीर्थ उनका पीहर है और आने वाले समय वे ही नहीं अपितु संघ में सम्मिलित उनके सभी शिष्य अपने पिता के घर मिलेंगे। श्रद्घा का सागर, दर्शन की प्यास- अहिल्या नगरी में पसरा ओर-छोर उल्लास बिंदु-सिंधु महामिलन का साक्षी रहेगा।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi