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(द्वितीया तिथि)
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आचार्य चंद्रसागर को श्रद्घांजलि

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विन्ध्य एवं छत्तीसगढ़ क्षेत्र के प्रथम आचार्य श्रमण संस्कृति विकास न्यास एवं 1008 श्री आदिनाथ दिग. जैन काँच मंदिर मधुवन शिखर जी के संस्थापक 108 आचार्य चंद्रसागर महाराज गृहस्थ नाम पं. फूलचंद शास्त्री कोतमा 24 मार्च 09 को मधुवन शिखर जी में समाधिस्थ हो गए थे, उनके प्रति अपनी विनियांजलि प्रकट करने हेतु गत दिवस शांति विधान सागर से पधारीं ब्रम्हचारिणी किरण दीदी एवं विभा दीदी के सानिध्य में पं. राजेन्द्र कुमार जी द्वारा कोतमा में संपन्न कराया।

शांति विधान में बड़ी संख्या में महिला-पुरूषों ने इन्द्र-इन्द्राणी बनकर धर्म लाभ लिया। इस श्रद्घांजलि महोत्सव ब्रम्हचारिणी दीदियों के सानिध्य में भगवान महावीर स्वामी के चित्र का अनावरण किया गया। श्री 108 आचार्य चंद्रसागर महाराज के छाया चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन करके आचार्य जी द्वारा रचित भजनों का पुस्तक संग्रह 'चंद्र भजनामृत' का विमोचन संपन्न हुआ।

इस अवसर पर वक्ताओं ने महाराज के गृहस्थ जीवन के संस्मरण बताते हुए कहा कि आपने कड़ी मेहनत एवं ईमानदारी से अपने नियमों का कड़ाई से पालन करते हुए वात्सल्य भाव करूणा एवं दया रखते हुए गृहस्थी का संचालन किया। वे सादा जीवन उच्च विचार के प्रतिमूर्ति थे। आपका जीवन कोतमा नगर के लिए गौरव का विषय है।

बहन किरण दीदी एवं विभा दीदी ने महाराज जी की यम संलेखना का आँखों देखा हाल एवं पूर्व के अनुभव सुनाकर सभी उपस्थित जनों को रोमांचित कर दिया। उन्होंने कहा महाराज जी ने यम संलेखना पूर्वक मृत्यु महोत्सव मनाकर अपना मनुष्य जीवन सार्थक कर लिया।

108 आचार्य चंद्रसागर महाराज के पूजन के पश्चात्‌ श्रद्घांजलि सभा में बड़ी संख्या में उपस्थित महानुभावों-माताओं-बहनों ने अपनी श्रद्घांजलि अर्पित की।

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