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बावनगजा में दूसरा महामस्तकाभिषेक

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- ऋतुराजसिंह धतरावदा

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सतपु़ड़ा पर्वत श्रृँखलाएँ विस्मित हो एकटक निहार रही थीं। सूर्य ने अपनी किरणों की सारी ऊर्जा समेटकर श्रीचरणों में अर्पित कर दी थीं। वह भी पावन घ़ड़ी के इंतजार में था। करीब 10.50 बजे जैसे ही भगवान आदिनाथ के शीर्ष से होते हुए प्रवाहित जल ने श्रीचरणों को छुआ, इसे देख वहॉं प्रतीक्षारत हजारों ऑंखें धन्य हो उठीं।

इसके पहले ही शुरू हो गया दूसरा महामस्तकाभिषेक, जिसे निहारने देश-विदेश से श्रद्घालु पहुँचे थे। जलाभिषेक के अंतर्गत पहले कलश का सौभाग्य 5 लाख रुपए में गुप्तिधाम गन्नोर के ट्रस्टी और देहरादून निवासी श्री सुकुमलचंद जैन और श्री समीर जैन को मिला।

जलाभिषेक के बाद दुग्धाभिषेक का अवसर 5 लाख 55 हजार 555 रु. में श्री सुरेन्द्र बिलाला, योगेन्द्र सेठी और डॉ. जयकुमार जैन को मिला। फिर केसर अभिषेक का लाभ मिला 2 लाख 2 हजार 202 रुपए में इंदौर के श्री प्रेमचंद प्रदीप सेठी को। पहला महामस्तकाभिषेक 27 जनवरी को हुआ था। अभी तीन और महामस्तकाभिषेक होंगे।
  सतपु़ड़ा पर्वत श्रृँखलाएँ विस्मित हो एकटक निहार रही थीं। सूर्य ने अपनी किरणों की सारी ऊर्जा समेटकर श्रीचरणों में अर्पित कर दी थीं। वह भी पावन घ़ड़ी के इंतजार में था। करीब 10.50 बजे भगवान आदिनाथ के शीर्ष से होते हुए प्रवाहित जल ने श्रीचरणों को छुआ।      


स्वर्ण कलश
भगवान की प्रतिमा पर मंगल स्वर्ण कलश च़ढ़ाने के लिए भी बोली लगी। इसमें 2 लाख 50 हजार रुपए में यह कार्य दिल्ली के श्री डीके जैन और सिद्घार्थ जैन को मिला।

प्रभावी प्रस्तुति
समारोह में जलाभिषेक के पूर्व भीलवा़ड़ा की कु. चिंकल जैन ने प्रभावी नृत्य प्रस्तुत किया। उन्होंने 52 कलश का सेट सिर पर धारण कर जमीन पर गिलास में रखा रुमाल उठाने का कमाल किया।

आचार्यगण प्रसन्न :
महोत्सव में शामिल आचार्य श्री दर्शनसागरजी, बालाचार्य श्री कल्पवृक्ष नंदीजी, उपाध्याय श्री गुप्तिसागरजी सहित आर्यिका मंडल में जबर्दस्त उत्साह था। शांत से रहने वाले तपस्वी महामस्तकाभिषेक के अंत में स्वयं को रोक नहीं पाए और आदिनाथजी के श्रीचरणों में जमा जल और दुग्ध से एक-दूसरे को सराबोर करने लगे। पूरा माहौल जोरदार उल्लास में डूब गया।

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