Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(पंचमी तिथि)
  • तिथि- पौष कृष्ण पंचमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-मूल समाप्त/रवियोग
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

शरद पूर्णिमा : आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के जन्मदिवस पर विशेष

हमें फॉलो करें शरद पूर्णिमा : आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के जन्मदिवस पर विशेष
webdunia

राजश्री कासलीवाल

जैन धर्म के तपस्वी, अहिंसा, करुणा, दया के प्रणेता और प्रखर कवि सं‍त शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज का जन्मदिवस आश्विन शुक्ल पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) के दिन मनाया जाता है। 
 
ऐसे महापुरुष मानव जाति के प्रकाश पुंज हैं, जो मनुष्‍य को धर्म की प्रेरणा देकर उनके जीवन के अंधेरे को दूर करके उन्हें मोक्ष का मार्ग दिखाने का महान कार्य करते हैं। वास्तव में ये महान आत्माएं ही मानवता के जीवन-मूल्यों की प्रतीक हैं। ऐसे गुरु के आशीष पर लोगों का प्रगाढ़ विश्वास है। पृथ्वी पर आज हर मानव शांति और सुख की चाहत में व्याकुल है और तनावरहित जीवन जीना चाहता है। 
 
 
मुनि विद्यासागरजी का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को बेलगांव जिले के गांव चिक्कोड़ी में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ। उनका नाम विद्याधर रखा गया। उनका घर का नाम पीलू था। माता आर्यिकाश्री समयमतिजी और पिता मुनिश्री मल्लिसागरजी दोनों ही बहुत धार्मिक थे। 
 
मुनिश्री ने कक्षा नौवीं तक कन्नड़ भाषा में शिक्षा ग्रहण की और 9 वर्ष की उम्र में ही उनका मन धर्म की ओर आकर्षित हो गया और उन्होंने उसी समय आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का संकल्प कर लिया। उन दिनों विद्यासागरजी आचार्यश्री शांतिसागरजी महाराज के प्रवचन सुनते रहते थे। इसी प्रकार धर्म ज्ञान की प्राप्ति करके, धर्म के रास्ते पर अपने चरण बढ़ाते हुए मुनिश्री ने मात्र 22 वर्ष की उम्र में अजमेर (राजस्थान) में 30 जून 1968 को आचार्यश्री ज्ञानसागरजी महाराज के शिष्यत्व में मुनि दीक्षा ग्रहण की।
 
 
दिगंबर मुनि संत विद्यासागरजी ने और भी कई भाषाओं पर अपनी कमांड जमा रखी थी। उन्होंने कन्नड़ भाषा में शिक्षण ग्रहण करने के बाद भी अंग्रेजी, हिन्दी, संस्कृत, कन्नड़ और बंगला भाषाओं का ज्ञान अर्जित करके उन्हीं भाषाओं में लेखन कार्य किया। 
 
महाराजजी की प्रेरणा और आशीर्वाद से आज कई गौशालाएं, स्वाध्याय शालाएं, औषधालय स्थापित किए गए हैं। कई जगहों पर निर्माण कार्य जारी है। आचार्यश्री पशु मांस निर्यात के विरोध में जनजागरण अभियान भी चला रहे हैं, साथ ही 'सर्वोदय तीर्थ' के नाम से अमरकंटक में एक विकलांग नि:शुल्क सहायता केंद्र चल रहा है। विद्यासागरजी का 'मूकमाटी' महाकाव्य सर्वाधिक चर्चित है।
 
 
महाराजश्री ने पशुधन बचाने, गाय को राष्ट्रीय प्राणी घोषित करने, मांस निर्यात बंद करने को लेकर अनेक उल्लेखनीय कार्य किए हैं। आचार्यश्री विद्यासागरजी मन से जल की तरह निर्मल तथा प्रसन्न और हमेशा मुस्कराते रहते हैं। वे अपनी तपस्या की अग्नि में कर्मों की निर्जरा के लिए तत्पर रहते हैं। 
 
सन्मार्ग प्रदर्शक, धर्म प्रभावक आचार्यश्री में अपने शिष्यों का संवर्द्धन करने का अभूतपूर्व सामर्थ्य है। आपके चुम्बकीय व्यक्तित्व ने युवक-युवतियों में अध्यात्म की ज्योत जगा दी है। आचार्यश्री विद्यासागरजी दिगंबर सरोवर के राजहंस हैं। 
 
ऐसे ज्ञानी और सुकोमल छवि वाले आचार्यश्री विद्यासागरजी को उनके जन्मदिवस पर शत-शत नमन्! 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मंगलवार के दिन मंगल के 21 शुभ नाम, हर क्षेत्र में देते हैं मंगलमयी परिणाम...