Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(षष्ठी तिथि)
  • तिथि- फाल्गुन शुक्ल षष्ठी
  • शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त-सर्वार्थसिद्धि योग
  • राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
webdunia

जैन धर्म में फाल्गुन अष्टान्हिका विधान क्या होता है?

Advertiesment
हमें फॉलो करें जैन धर्म में फाल्गुन अष्टान्हिका विधान क्या होता है?

WD Feature Desk

, बुधवार, 5 मार्च 2025 (13:49 IST)
Ashtahnika Vidhan In Hindi : जैन धर्म में, फाल्गुन अष्टान्हिका विधान एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक आठ दिनों तक चलता है। यह पर्व साल में 3 बार मनाया जाता है, फाल्गुन, आषाढ़ और कार्तिक मास में।
 
वर्ष 2025 में इस बार फाल्गुन अष्टमी से पूर्णिमा तक मनाए जाने वाला यह पर्व 07 मार्च से शुरू होकर 14 मार्च तक चलेगा। इस पर्व के अंतर्गत भक्तांबर मंडल विधान का आयोजन, जिनेंद्र पक्षाल, नित्य नियम व विधान पूजन, विशेष प्रवचन श्रृंखला आदि आयोजन किए जाते हैं। 
 
फाल्गुन अष्टान्हिका विधान का महत्व: जैन धर्म की मान्यता के अनुसार, इस पर्व की शुरुआत मैना सुंदरी द्वारा अपने पति श्रीपाल के कुष्ठ रोग निवारण के लिए आठ दिनों तक सिद्धचक्र विधान मंडल एवं तीर्थंकरो के अभिषेक जल के छीटों से रोग समाप्त होने के कारण सदियों पूर्व हुई। यह पर्व नंदीश्वर द्वीप में होने वाली देवों की पूजा का स्मरण कराता है। यह पर्व जैन धर्म के सिद्धांतों का पालन करने और आध्यात्मिक उत्थान के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।
 
फाल्गुन अष्टान्हिका विधान की विधि: इन 8 दिनों के दौरान, जैन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, सिद्धचक्र मंडल विधान, नन्दीश्वर विधान मंडल पूजा सहित अन्य विशेष पूजाओं का आयोजन होता है। जैन धर्म को मानने वाले इन दिनों में मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना,  सहित कई प्रकार के अनुष्ठान करते हैं। भक्त उपवास रखते हैं, ध्यान करते हैं और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं। दान-पुण्य के कार्य भी किए जाते हैं।
 
फाल्गुन अष्टान्हिका विधान का उद्देश्य: यह पर्व आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है। यह हमें अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के सिद्धांतों का पालन करने की प्रेरणा देता है। यह पर्व हमें सभी जीवों के प्रति करुणा और प्रेम का भाव रखने की शिक्षा देता है। यह पर्व जैन धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर ले जाता है।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। ALSO READ: Ayodhyadham: ऋषभदेव जैन मंदिर में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं महामस्तकाभिषेक महोत्सव

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मीन संक्रांति का राशियों पर क्या पड़ेगा प्रभाव, जानिए 12 राशियों का राशिफल