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(बैकुंठ चतुर्दशी)
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  • शुभ समय- 6:00 से 7:30, 12:20 से 3:30, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त-बैकुंठ चतुर्दशी/पंचक समाप्त/मूल समाप्त
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णमोकार महामंत्र दिलाता है समस्त पापों से मुक्ति...

हमें फॉलो करें णमोकार महामंत्र दिलाता है समस्त पापों से मुक्ति...
* विलक्षण मंत्र है णमोकार महामंत्र 
 

 
णमो अरिहंताणं,
णमो सिद्धाणं,
णमो आयरियाणं,
णमो उवज्झायाणं,
णमो लोए सव्व साहूणं। 
 
यह नमस्कार महामंत्र सर्वोत्कृष्ट मंत्र है, मंत्राधिराज है। नमस्कार महामंत्र सर्वदा सिद्ध मंत्र है। इसमें समस्त रिद्धियां और सिद्धियां विद्यमान हैं। शान्ति, शक्ति, संपत्ति तथा बुद्धि के रूप में विश्व में पूजित शक्तियों का आधार नमस्कार महामंत्र ही है। 
 
नमस्कार महामंत्र में जिन परमेष्ठी भगवंतों की आराधना की जाती है उनमें तप, त्याग, संयम, वैराग्य आदि सात्विक गुण होते हैं। अरिहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु, ये पांच परम इष्ट हैं। इनको नमन करना नवकार मंत्र है। मंत्र अपने आपमें रहस्य होता है, किंतु नवकार महामंत्र तो परम रहस्य है। 
 
इसके बल पर दुख सुख में परिणत हो जाता है। नवकार मंत्र के स्मरण, चिंतन, मनन और उच्चारण से ही प्राणी जन्म-जन्मांतरों के पापों से मुक्त होकर शाश्वत सुख में निवास करने लगता है। नमस्कार महामंत्र माता-पिता, स्वामी, गुरु, नैत्र, वैद्य, मित्र, प्राणरक्षक, बुद्धि, दीपक, शांति, पुष्टि और महाज्योति है। 
 
यह मनुष्य की गरिमा को गति देने वाला एक मात्र विलक्षण मंत्र है। नमस्कार महामंत्र अनादि है। यह मंत्र गुण-सापेक्ष है। यह व्यक्ति को उन ऊंचाइयों पर प्रतिष्ठित करता है, जहां सामान्य व्यक्ति की पहुंच असंभव लगती है। नमस्कार (नवकार) महामंत्र में आगमों का सार निहित है। शास्त्र इसी से प्रस्फुटित हुए हैं। 
 
 
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एसो पंच णमोक्कारो, सव्व पाव-प्पणासणो।
 
मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं॥

नमस्कार महामंत्र को मंत्र शास्त्र ने 'सव्व पाव पणासणो'- समस्त पाप (क्लेश) का नाश करने वाला बताया है। 
 
नमस्कार महामंत्र के सामर्थ्य का विश्लेषण करते हुए कर्मशास्त्र कहता है, - एक-एक अक्षर के उच्चारण से अनंत-अनंत कर्म का विलय होता है।

नवकार (नमस्कार) महामंत्र सम्प्रदाय के अभिनिवेश से मुक्त शुद्ध आध्यात्मिक ऋचा है। श्रद्धा बल से संयुक्त नमस्कार महामंत्र से शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विकास होता है। 
 
नमस्कार महामंत्र का जप किसी भी परिस्थिति या अवस्था में किया जा सकता है। इसके स्मरण मात्र से दुख दूर होते हैं। समस्त साधु-भगवंत नवकार महामंत्र (णमोकार महामंत्र) का जाप करते हैं। 
 
- विनोद बी. खाबिया
 

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