जीवन के बैर भाव को मिटाता हैं क्षमावाणी पर्व
क्षमा : मानवीय जीवन की आधारशिला
क्षमा शब्द मानवीय जीवन की आधारशिला है। जिसके जीवन में क्षमा है, वही महानता को प्राप्त कर सकता है। क्षमावाणी हमें झुकने की प्रेरणा देती है। दसलक्षण पर्व हमें यही सिख देता है कि क्षमावाणी के दिन हमें अपने जीवन से सभी तरह के बैर भाव-विरोध को मिटाकर प्रत्येक व्यक्ति से क्षमा मांगनी चाहिए। यही क्षमावाणी है।
सभी को जय जिनेंद्र का नाम लेकर झुकना सीखना चाहिए, क्योंकि क्षमा हमें झुकने की प्रेरणा देती है। चाहे छोटा हो या बड़ी क्षमा पर्व पर सभी से दिल से क्षमा मांगी जानी चाहिए।
क्षमा सिर्फ उससे नहीं मांगी जानी चाहिए, जो वास्तव में हमारा दुश्मन है। बल्कि हमें हर छोटे-बड़े जीवों से क्षमा मांगनी चाहिए। जब हमें क्रोध आता है तो हमारा चेहरा लाल हो जाता है और जब क्षमा मांगी जाती है तो चेहरे पर हंसी-मुस्कुराहट आ जाती है। क्षमा हमें अहंकार से दूर करके झुकने की कला सीखाती है। क्षमावाणी पर्व पर क्षमा को अपने जीवन में उतारना ही सच्ची मानवता है।