Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(द्वितीया तिथि)
  • तिथि- माघ शुक्ल द्वितीया
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त- सावान मास प्रा., अवतार मेहेर बाबा पु.
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia

जैनियों का चातुर्मास पर्व 24 जुलाई से

चातुर्मास में बदलेगा जीवन

Advertiesment
हमें फॉलो करें जैनियों का चातुर्मास पर्व 24 जुलाई से
ND

जैन धर्म के चातुर्मास 24 जुलाई से प्रारंभ होंगे। इस चातुर्मास के दौरान संत और साध्वी के साथ लोग व्रत, तप व साधना करेंगे। वे धर्मावलं‍बियों को नियमित सत्य, अहिंसा और संयम का मार्ग बताएँगे। उनके प्रवचन का लाभ जैन समाज सहित अन्य लोग भी ले सकेंगे।

बताया जाता है कि चातुर्मास के दौरान बड़ी संख्या में जीव-जंतु पैदा होते हैं। जैन धर्म के अनुसार अहिंसा से बचने के लिए संत व साध्वियाँ चातुर्मास किसी निश्चित एक ही स्थान पर बिताते हैं। चातुर्मास के दौरान ज्यादातर लोग धार्मिक हो जाते हैं तथा हिंसा से हर संभव बचने का प्रयास करते हैं। इसके अंतर्गत शारीरिक, मानसिक, वाचिक और भावनात्मक हिंसा शामिल है। कठिन व्रत से लोग जीवन को मर्यादित और संयमित रखने का प्रयास करते हैं।

लोगों का विवेक जागृत हो जाता है। संतों की तपस्या, त्याग व प्रवचन का लाभ स्वमेव दिखने लगेगा। अधिकांश लोग सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पूर्व केवल गरम पानी पीते हैं। कुछ लोग सीमित द्रव्य और दिनचर्या को सीमित कर देते हैं और ज्यादातर समय निवास पर ही बिताते हैं। इस दौरान साधना और तप करते हैं।

webdunia
ND
बहुत से लोग इस दौरान संत और साध्वी की तरह क्षमता अनुसार एक दिन, एक सप्ताह व महीनों तक कठिन उपवास रखेंगे। बहुत से लोग नशा एवं बुरी लत को छोड़ने का संकल्प लेंगे। कई लोगों का जीवन स्तर सुधर जाएगा। जैन संत-साध्वी के संपर्क में आने से लोगों के जीवन में व्यापक परिवर्तन देखने को मिलेगा।

इस चातुर्मास के दौरान मंदिरों में सुबह पूजा-अर्चना और साधना के बाद प्रवचन का भी आयोजन होगा। प्रवचनों में खास तौर पर सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, व्यसन मुक्ति, जीवन विज्ञान, ब्रह्मचर्य आदि को जीवन में अपनाने के उपाय बताए जाएँगे।

संध्या के समय प्रतिक्रमण होगा। इसमें श्रद्धालु हिंसात्मक कर्मों के लिए ईश्वर से क्षमा याचना करते हैं। जैन धर्म के अनुसार जब व्यक्ति अपनी दिनचर्या के दौरान भावना या कर्म से किसी के अधिकारों का अतिक्रमण कर लेता है तो शाम को वह क्षमा याचना करता है, जिसे प्रतिक्रमण कहा जाता है।

कठिन तपस्या करके जैन समाज के लोग चातुर्मास काल में अपने द्वारा जीवन में किए गए भूलों को सुधार कर जीवन को मोक्ष प्राप्ति की ओर ले जाएँगे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi