(तर्ज-ओम जय जगदीश हरे...)
हे शंखेश्वर स्वामी, प्रभु जग अंतरयामि ।
तमने वंदन करीये, शिवसुखना स्वामी ॥हे शंखेश्वर...॥
मारो निश्चय एक छे स्वामी, बनू तमारो दास-2।
तारा नामे चाले-2, मारो श्वासोश्वास ॥हे शंखेश्वर...॥1॥
दुःख संकटने कापो-स्वामी, वांछित ने आपो-2।
पाप हमारा हरजो-2 शिवसुखना स्वामी ॥हे शंखेश्वर...॥2॥
निशदिन हूँ माँगू छू स्वामी, तुम शरणे रहेवा-2।
ध्यान तमारु ध्यावु-2, स्वीकारजो सेवा ॥हे शंखेश्वर...॥3॥
रात-दिवस आवु छु स्वामी, तमने मलवाने-2।
आतम अनुभव माँगु-2, भव दुःख टलवाने ॥हे शंखेश्वर...॥4॥
करुणाना छो सागर स्वामी, दयातणा भंडार-2।
त्रिभुवनना छो नायक-2, जगना तारण हार ॥हे शंखेश्वर...॥5॥
'सेवा मंडल' अरज करे छे, नैया पार उतार
जगना दादा तुम हो-2, जगना पिता तुम हो
नरगति पार उतार ॥हे शंखेश्वर...॥6॥