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जम्मू चुनाव में सबसे बड़ा सवाल, क्या भाजपा अपना गढ़ बचा पाएगी?

जम्मू संभाग में 19 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला

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सुरेश एस डुग्गर

, शनिवार, 28 सितम्बर 2024 (11:27 IST)
Jammu elections 2024 : जम्मू कश्मीर में अंतिम चरण में 40 सीटों पर 1 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। इस चरण में मतदाता 415 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। इस चरण की 40 सीटों में से 24 सीटें जम्मू संभाग तो 16 सीटें कश्मीर इलाके की है। यही वजह है कि इस चरण में असल इम्तिहान भाजपा और कांग्रेस का है, क्योंकि जम्मू बेल्ट में इन्हीं दोनों दलों का सियासी आधार है।
 
तीसरे और अंतिम चरण के चुनाव में कश्मीर रीजन से ज्यादा जम्मू क्षेत्र की सीटें है। कश्मीर की सियासत में मुस्लिम वोटर अहम हैं तो जम्मू में हिंदू वोटर अहम रोल प्ले करते हैं। इस तरह जम्मू कश्मीर के अंतिम चरण के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के सियासी भविष्य का फैसला हिंदू मतदाता करेंगे। यही वजह है कि भाजपा ने हिंदुत्व का चेहरा माने जाने वाले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को चुनावी प्रचार में उतारकर हिंदू वोटों पर अपनी पैठ जमाए रखने का दांव चला है।
 
सीएम योगी ने गुरुवार को रामगढ़ में जनसभा को संबोधित किया तो शुक्रवार को दो रैलियां की हैं। इसके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर पीएम मोदी जम्मू क्षेत्र की सीटों पर प्रचार करके भाजपा के मजबूत दुर्ग को बचाए रखने का दांव चलेंगे।
तीसरे चरण में इन 40 सीटों पर चुनाव : जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण की 40 सीटें दो रीजन में बंटी हुई है। कश्मीर रीजन की 16 सीटें- करनाह, त्रेगम, कुपवाड़ा, लोलब, हंदवाड़ा, लंगेट, सोपोर, रफियाबाद, उड़ी, बारामुल्ला, गुलमर्ग, वागोरा-क्रीरी, पट्टन, सोनावारी, बांदीपुरा और गुरेज (एसटी) सीट शामिल हैं।

वहीं, जम्मू क्षेत्र की 24 सीटें, उसमें उधमपुर पश्चिम, उधमपुर पूर्व, चेनानी, रमनगर (एससी), बनी, बिलावर, बसोहली, जसरोटा, कठुआ (एससी), हीरानगर, रामगढ़ (एससी), सांबा, विजयपुर, बिश्नाह (एससी), सुचेतगढ़ (एससी), आरएस पुरा-जम्मू साउथ, बाहू, जम्मू ईस्ट, नगरोटा, जम्मू वेस्ट, जम्मू नार्थ, मढ़ (एससी), अखनूर (एससी)और छंब सीट शामिल हैं।
 
10 साल पहले भाजपा ऐसे बनी थी किंगमेकर : दस साल पहले भाजपा जम्मू कश्मीर की सियासत में किंगमेकर बनकर उभरी थी तो उसमें जम्मू रीजन की सीटों का अहम रोल था। भाजपा 2014 के चुनाव में 25 सीटें जीतकर सरकार में साझीदार बनी थी। भाजपा ने पीडीपी को समर्थन दिया था। इसीलिए जम्मू को भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है, जहां पर उसका वर्चस्व अभी भी कायम है। कश्मीर में भाजपा का कोई प्रभाव नहीं है, जिसके चलते पार्टी का पूरा दारोदमार जम्मू क्षेत्र और हिंदू वोटर्स पर टिका हुआ है।
 
क्या है भाजपा और कांग्रेस की मुश्किल : जम्मू क्षेत्र में इस बार भाजपा की सियासी राह में कुछ मुश्किलें भी है। जम्मू क्षेत्र की 24 सीटों पर भाजपा ने अपने उम्मीदवार उतार रखे हैं, जिनमें से 19 सीट पर उसे कांग्रेस से मुकाबला करना पड़ रहा है और पांच सीटों पर नेशनल कांग्रेस से दो-दो हाथ करना होगा। जम्मू वाले इलाके में पीडीपी और कश्मीर की दूसरी पार्टियों का कोई खास सियासी आधार नहीं है, लेकिन गुलाम नबी आजाद की पार्टी का जरूर सियासी आधार है। गुलाम नबी आजाद की पार्टी के उम्मीदवारों के चुनाव में उतरने से कांग्रेस की जरूर टेंशन बढ़ सकती है।
 
कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन के लिए गुलाम नबी की पार्टी चिंता बढ़ा रही है तो भाजपा के लिए पैंथर्स पार्टी जरूर टेंशन बनी है। जम्मू क्षेत्र में हिंदू वोटों के चलते ही नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी जैसी पार्टियां अपनी जड़े नहीं जमा पाईं। कांग्रेस और पैंथर्स पार्टी के इर्द-गिर्द रहा हिंदू वोट बैंक सिमटता रहा, लेकिन 2014 के बाद से भाजपा के साथ हैं।

कांग्रेस की स्थिति पहले से बेहतर हुई है, जिसकी वजह से भाजपा के लिए कुछ सीटों पर टेंशन बढ़ सकती है। कांग्रेस की साथी नेशनल कांफ्रेंस चाहती है कि राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस के दूसरे नेता तीसरे चरण में ताकत लगाएं ताकि जम्मू क्षेत्र में भाजपा को मात दी जा सके।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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