जम्मू। 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य के 2 टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के 4 सालों के बाद कश्मीर के हालात पूरी तरह से नियंत्रण में हैं और सुधर चुके हैं। इसकी तस्वीर विश्व समुदाय को दिखाने की खातिर भारत सरकार कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों की पूरी कमान केरिपुब (CRPF) को सौंपना चाहती है और उसके उपरांत ही विधानसभा चुनाव करवाना चाहती है।
हालांकि सूत्रों के अनुसार कश्मीर में आतंकी परिदृश्य में फिलहाल कहीं नजर नहीं आ रहे हैं, पर पाकिस्तान के घरेलू हालात को मद्देनजर रखते हुए यह आशंका प्रकट की जा रही है कि पाकिस्तान घरेलू मोर्चे से अपनी जनता का ध्यान हटाने की खातिर कश्मीर में कुछ भी बड़ा प्लान कर सकता है जिससे निपटने की खातिर केरिपुब (CRPF) को तैयार होना होगा।
यह बात अलग है कि ऐसी चर्चाओं के बाद केरिपुब के वरिष्ठ अधिकारी इसके प्रति खुलासा कर चुके हैं कि उनकी फोर्स पूरा नियंत्रण अपने हाथों में लेने के लिए तैयार है, पर खुफिया अधिकारी कहते थे कि सेना और अन्य सुरक्षाबलों की जरूरत फिलहाल खत्म नहीं हुई है।
मिलने वाली सूचनाओं के बकौल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कश्मीर में सेना को बदलने के प्रस्ताव को वस्तुत: मंजूरी तो दे दी है, पर अभी भी वह इस पर माथापच्ची में उलझा हुआ है कि कहीं उसका यह फैसला हालात के लिए घातक साबित न हो।
अधिकारी कहते थे कि केंद्रीय गृह मंत्रालय में होने वाली माथापच्ची में इस पर मंथन किया गया है कि आतंकवाद से निपटने की पूरी जिम्मेदारी दिए जाने से पहले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को कश्मीर और जम्मू दोनों क्षेत्रों के कुछ जिलों का पूर्ण अधिकारी देकर उसकी परीक्षा ली जाए।
एक अधिकारी के बकौल, विधानसभा चुनावों से पहले संभव इसलिए नहीं लग रहा है, क्योंकि खुफिया संस्थाएं आशंका प्रकट करती हैं कि पाकिस्तानी सेना खुन्नस के तौर पर विधानसभा चुनावों में खलल पैदा कर सकती है जिससे निपटने को सेना ही सक्षम मानी जाती है। हालांकि एक प्रस्ताव सेना को बैकअप के तौर पर ही इस्तेमाल किए जाने का भी प्रस्ताव है।
Edited by: Ravindra Gupta