जम्मू। जम्मू-कश्मीर पुलिस के दावेनुसार उसने सेना के साथ एक संयुक्त अभियान में उस ए श्रेणी के एक आतंकी को मार गिराया है, जो परसों हुई एक कश्मीरी पंडित संजय नाथ की हत्या के लिए जिम्मेदार था। इसी मुठभेड़ में एक अन्य आतंकी भी मारा गया जबकि 6 घंटों तक चले इस अभियान में सेना का एक जवान शहीद हो गया और एक अन्य गंभीर रूप से जख्मी है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अवंतिपोरा के पदगमपोरा इलाके में रूटीन चेकिंग के दौरान संयुक्त गश्त में शामिल जवानों पर जब आतंकियों ने अचानक हमला बोला तो सेना के 2 जवान जख्मी हो गए। उन्हें सैन्य अस्पताल में भेज दिया गया, जहां एक ने दम तोड़ दिया। इस हमले के तत्काल बाद सैनिकों ने मोर्चा संभाला तो 6 घंटों की मशक्कत के बाद 2 आतंकी मारे गए।
सुरक्षाबलों की खुशी उस समय दोगुनी हो गई, जब उन्हें पता चला कि मारे जाने वाले आतंकियों में एक ए श्रेणी का आकिब मुश्ताक बट भी शामिल था जिसने परसों एक कश्मीरी हिन्दू संजय पंडित को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था जबकि दूसरा आतंकी सी श्रेणी का था जिसकी पहचान त्राल के रहने वाले एजाज अहमद बट के तौर पर की गई है। दोनों ही आजकल टीआरएफ से जुड़े हुए थे तथा स्थानीय आतंकी थे। इससे पहले वे हिज्बुल मुजाहिदीन के लिए काम करते थे।
बचे-खुचे कश्मीरी पंडितों को रोकने में जुटा प्रशासन : कश्मीर में पीएम पैकेज के तहत नौकरी कर रहे बचे-खुचे कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारियों के मामले में एक नया बवाल खड़ा हो गया है। परसों पुलवामा के अचन गांव में आतंकी हमले में एक और कश्मीरी पंडित की मौत के बाद वे कश्मीर में टिकना नहीं चाहते हैं और प्रशासन उन्हें रोकने की कोशिशों में जुट गया है।
दरअसल, पहले से ही प्रवासी कश्मीरी पंडित ऑल माइग्रेंट्स एम्प्लॉइज एसोसिएशन, कश्मीर के बैनर तले जम्मू में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और सुरक्षा कारणों से कश्मीर से जम्मू में अपने स्थानांतरण की मांग कर रहे थे। ताजा आतंकी हमले ने उनमें दहशत पैदा कर दी है और उन्होंने अपना आंदोलन तेज करने की धमकी दी है।
उनमें खतरे की भावना इसलिए भी पैदा हुई है, क्योंकि आतंकी समूह टीआरएफ ने कुछ अरसा पहले इन पीएम पैकेज के कर्मचारियों की एक सूची जारी की थी जिसमें उन्हें प्रवासी कश्मीरी पंडित और अन्य को गैर-स्थानीय बताया था जबकि नौकरियों और फ्लैटों का हवाला देते हुए स्थानों की संख्या का खुलासा किया गया था और साथ ही उन्हें कश्मीर छोड़ देने की धमकी भी दी गई थी।
जानकारी के लिए पिछले साल पहले ही 12 मई को कश्मीर में लक्षित हत्याओं के मद्देनजर जम्मू स्थित आरक्षित श्रेणी के अनुसूचित जाति के कर्मचारी भी अपने समकक्ष कश्मीरी पंडितों की तरह लौट आए थे और विरोध प्रदर्शन आरंभ किया था। वे कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में सुधार होने तक जम्मू में स्थानांतरित करने की मांग को लेकर भी विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
जम्मू में पीएम पैकेज कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एसोसिएशन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि जब राहुल भट की हत्या हुई थी, तब सरकार ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था लेकिन इसकी रिपोर्ट अभी भी प्रतीक्षित है।
शांति के लौट आने के दावों के बीच ताजा हत्या से चिंतित कश्मीरी पंडितों का कहना था कि यह सरकार और सुरक्षा बलों पर निर्भर है कि वे कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा सुनिश्चित करें और साथ ही खतरे के पीछे लोगों का पर्दाफाश करने के लिए जांच करें।
दरअसल, टीआरएफ आतंकी गुट 60 के करीब ऐसे कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के नामों और उनके उन स्थानों की सूची वेबसाइट पर डालकर धमकी दे चुका था, जहां वे नौकरी कर रहे हैं। इसके उपरांत पीएम पैकेज के तहत कश्मीर में नौकरी कर रहे इन कर्मचारियों में खलबली मची हुई है, क्योंकि उनका मानना है कि उन्हें प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था और आश्वासनों पर कतई विश्वास नहीं है।
Edited by: Ravindra Gupta